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Tripur Bhairavi Jayanti 2025: कब है त्रिपुर भैरवी जयंती? जानें सटीक तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Tripur Bhairavi Jayanti 2025: पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि को त्रिपुर भैरवी जयंती का पर्व मनाया जाता है. त्रिपुर भैरवी माता देवी की दस महाविद्याओं में से एक रूप है. मां त्रिपुर भैरवी की पूजा करने से शत्रुओं पर जीत हासिल होती है.

Author By: Aman Maheshwari Author Published By : Aman Maheshwari Updated: Dec 2, 2025 16:20
Tripur Bhairavi Jayanti 2025
Photo Credit- News24GFX

Tripur Bhairavi Jayanti 2025: हर साल त्रिपुर भैरवी जयंती का पर्व मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. यह दिन मां त्रिपुर भैरवी की पूजा के लिए विशेष होता है. आपको त्रिपुर भैरवी जयंती पर विधि-विधान से मां त्रिपुर भैरवी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. इससे शत्रुओं पर विजय हासिल होती है और करियर में तरक्की के योग बनते हैं. मां त्रिपुर भैरवी की पूजा से भय का नाश होता है. इस साल त्रिपुर भैरवी जयंती कब है चलिए इसके बारे में जानते हैं.

त्रिपुर भैरवी जयंती 2025 (Tripur Bhairavi Jayanti 2025 Date)

त्रिपुर भैरवी जयंती का पर्व मार्गशीर्ष पूर्णिमा को मनाया जाता है. यह तिथि 4 दिसंबर 2025 को है इस दिन यह पर्व मनाया जाएगा. पूर्णिमा तिथि 4 दिसंबर को सुबह 8 बजकर 37 मिनट से 5 दिसंबर को सुबह 4 बजकर 43 मिनट तक रहेगी. चंद्रोदय तिथि को मान्यता देते हुए त्रिपुर भैरवी जयंती 4 दिसंबर को मनाई जाएगी.

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त्रिपुर भैरवी जयंती शुभ मुहूर्त (Tripur Bhairavi Jayanti Shubh Muhurat)

त्रिपुर भैरव जयंती पर पूजा के लिए कई शुभ मुहूर्त प्राप्त हो रहे हैं. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 10 मिनट से लेकर 6 बजकर 04 मिनट तक रहेगा. इसके बाद अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगा. निशिता पूजा मुहूर्त रात में 11 बजकर 15 मिनट से देर रात 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा. आप इन मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं.

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त्रिपुर भैरव जयंती पूजा विधि (Tripur Bhairavi Jayanti Puja Vidhi)

त्रिपुर भैरव जयंती पर मां त्रिपुर भैरवी की पूजा के लिए आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर साफ वस्त्र पहनने हैं. इसके बाद घर और पूजा स्थल की सफाई कर गंगाजल से शुद्ध करें. चौकी लगाकर मां त्रिपुर भैरवी की प्रतिमा स्थापित करें. मां त्रिपुर भैरवी के समक्ष कलश स्थापित करें और कुमकुम का तिलक लगाएं फूल माला अर्पित करें. मां को फल और मिठाई का भोग लगाएं और आरती कर प्रसाद ग्रहण करें.

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.

First published on: Dec 02, 2025 04:20 PM

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