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Somvati Amavasya 2024: कब है सोमवती अमावस्या, जानें स्नान करने की शुभ तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि

Somvati Amavasya 2024: वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सभी अमावस्या में मौनी अमावस्या को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। उसके बाद सोमवती अमावस्या है। तो आज इस खबर में जानेंगे कि इस साल सोमवती अमावस्या कब है, साथ ही इसका शुभ मुहूर्त, स्नान मुहूर्त और पूजा विधि क्या है।

Edited By : Raghvendra Tiwari | Updated: Mar 29, 2024 13:15
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Somvati Amavasya 2024 Date: हिंदू धर्म में अमावस्या की तिथि बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। बता दें कि सभी अमावस्या में मौनी अमावस्या सबसे महत्वपूर्ण माना जाती है उसके बाद सोमवती अमावस्या मानी गई है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सोमवती अमावस्या के दिन स्नान-दान का बहुत ही महत्व बताया गया है। मान्यता है कि जो लोग सोमवती अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं उनको भगवान शिव और मां पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त है। आज इस खबर में जानेंगे कि साल 2024 में सोमवती अमावस्या कब है साथ ही इस दिन दान-स्नान करने का क्या महत्व है।

साल 2024 में कब है सोमवती अमावस्या

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक साल सोमवती अमावस्या चैत्र माह की अमावस्या तिथि को होती है। बता दें कि इस साल चैत्र माह की अमावस्या तिथि 8 अप्रैल 2024 दिन सोमवार को है। सोमवती अमावस्या तिथि की शुरुआत 8 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 21 मिनट पर हो रही है। साथ ही इस तिथि की समाप्ति उसी रात 11 बजकर 50 मिनट पर होगी। इसलिए सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल दिन सोमवार को मान्य होगी।

अमावस्या के दिन स्नान-दान का मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि के दिन दान-स्नान का मुहूर्त 8 अप्रैल को सुबह 4 बजकर 32 मिनट से लेकर सुबह के 5 बजकर 18 मिनट तक है। इस शुभ मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं। यह समय बहुत ही शुभ है। क्योंकि इस समय इंद्र योग और उत्तर भाद्रपद नक्षत्र है।

अमावस्या की पूजा विधि

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सोमवती अमावस्या के दिन सबसे पहले स्नान करके दान किया जाता है। उसके बाद अमावस्या का व्रत और पूजा का संकल्प लेना चाहिए। व्रत का संकल्प लेने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करें। पूजा करने के दौरान भगवान शिव को अक्षत, बेलपत्र, भांग, मदार, धूप, दीप, नैवेद्य और शहद अर्पित कर सकते हैं। इसके साथ ही माता पार्वती की पूजा करते समय सिंदूर, अक्षत, फल, फूल, धूप, दीप, श्रृंगार की सामग्री आदि अर्पित करें। पूजा की सामग्री अर्पित करने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

First published on: Mar 29, 2024 01:15 PM

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