TrendingNavratri 2024Iran Israel attackHaryana Assembly Election 2024Jammu Kashmir Assembly Election 2024Aaj Ka Mausam

---विज्ञापन---

Pitru Paksha 2024: देवी सती या सीता किसने किया था सबसे पहले श्राद्ध? जानें त्रेता युग का ये दुर्लभ प्रसंग

Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष के 16 दिनों के दौरान पितर व पूर्वजों का विधि-विधान से तर्पण किया जाता है, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिल सके और वो अपनी कृपा सदा परिवारवालों पर बनाए रखें। प्राचीन काल में एक बार देवी ने भी अपने पिता का श्राद्ध किया था। चलिए जानते हैं सबसे पहले देवी सती या सीता किसने श्राद्ध पूजा की थी?

Pitru Paksha 2024: सनातन धर्म के लोगों के लिए पितृ पक्ष के हर एक दिन का खास महत्व है। इस दौरान पितरों और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पितृ पक्ष में तर्पण और श्राद्ध करने से पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार के हर सदस्य पर अपना आशीर्वाद बनाकर रखते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल पितृ पक्ष का आरंभ 17 सितंबर से हो रहा है, जिसका समापन अगले माह 2 अक्टूबर 2024 को होगा। प्राचीन काल से ही पितृ पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण करने की परंपरा चलती आ रही है, जिसका उल्लेख कई ग्रंथों में भी मिलता है। आमतौर पर लोगों को आपने कहते हुए सुना होगा कि श्राद्ध का अधिकार केवल पुरुषों को ही है, लेकिन ऐसा नहीं है। कुछ विशेष परिस्थितियों में महिलाएं भी श्राद्ध कर सकती हैं। आज हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि सबसे पहले कौन-से युग में किस देवी ने श्राद्ध किया था, जिसके बाद ये प्रथा चलती आ रही है। ये भी पढ़ें- गुरु-राहु के मेहरबान होने से 5 राशियों का शुरू हुआ गोल्डन टाइम, कामयाबी के साथ धन लाभ के योग!

किसने किया था सबसे पहले श्राद्ध?

वाल्मीकि रामायण के अनुसार, त्रेता युग में राम जी को 14 वर्ष का वनवास दिया गया था। जहां उनके साथ भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता भी गए थे। पुत्रों के वियोग में राजा दशरथ की तबीयत दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही थी, जिसके बाद एक दिन उनकी मृत्यु हो गई। ऐसे में प्रभु राम, मां सीता और लक्ष्मण जी ने वनवास के दौरान ही पितृ पक्ष की पूजा करने का निर्णय किया। श्राद्ध पूजा के लिए कुछ विशेष सामग्री चाहिए थी, जिसे लेने के लिए भगवान राम और लक्ष्मण जी वन से दूर चले गए थे। बहुत देर इंतजार करने के बाद भी जब देवता नहीं आए, तो पंडित जी ने माता सीता से कहा, 'श्राद्ध पूजा का समय निकल रहा है। यदि सही समय पर पूजा नहीं की गई, तो अनर्थ हो सकता है।' इसके आगे पंडित जी ने देवी को बताया कि, 'पुत्र की अनुपस्थिति में पुत्रवधू भी अपने पिता का पिंडदान कर सकती है, जिसका अधिकार शास्त्रों में भी है।' ऐसे में देवी सीता ने फल्गु नदी, केतकी फूल, गाय और वट वृक्ष को साक्षी मानकर बालू से पिंड बनाया और राजा दशरथ का पिंडदान किया।

महिलाएं कब-कब कर सकती हैं श्राद्ध?

यदि किसी के परिवार में एक भी बेटा नहीं है, तो ऐसी परिस्थिति में महिला श्राद्ध कर सकती है। लेकिन अविवाहित कन्याओं को श्राद्ध पूजा नहीं करनी चाहिए। पत्नी अपने पति की आत्मा की शांति के लिए उनका श्राद्ध कर सकती है। इसके अलावा विधवा स्त्री भी पितरों और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर सकती है। बता दें कि घर की सबसे बड़ी महिला को ही श्राद्ध करना चाहिए। ये भी पढ़ें- Parivartini Ekadashi 2024: बिना कथा पढ़े या सुने अधूरा है परिवर्तिनी एकादशी व्रत, जानें असली कथा! डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.