नई दिल्ली: आतंकियों के गढ़ के रूप में तब्दील हो चुके पाकिस्तान (Pakistan) पर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ जल्द ही फैसला लेने जा रहा है। इसके साथ ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और आतंकियों के मददगार पीएम इमरान खान की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। इमरान खान के पाकिस्तान में दुनिया के दुश्मन आतंकियों पर कार्रवाई केे सारे दिखावों की पोल जल्द ही खुल सकती है।
पाकिस्तान को ग्रे सूची से बाहर करने को लेकर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की वर्चुअल बैठक 21-23 अक्टूबर को होगी। इस दौरान यह फैसला लिया जाएगा कि मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद वित्तपोषण के खिलाफ इस्लामाबाद की कार्रवाई की समीक्षा के आधार पर पाक ग्रे सूची से बाहर होगा या नहीं।
डॉन न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक एफएटीफ की बैठक पहले ही होने वाली थी, लेकिन वित्तीय अपराधों के खिलाफ वैश्विक निगरानी ने कोरोना महामारी के चलते अस्थायी रूप से सभी पारस्परिक मूल्यांकन और फॉलोअप की समय सीमा को स्थगित कर दिया था।
पेरिस स्थित एजेंसी ने समीक्षा प्रक्रिया को भी रोक दिया था। जिसके चलते पाकिस्तान को एफएटीएफ की लिस्ट से बचने का मौका मिल गया। इससे पाकिस्तान को अपने आवश्यक पैमानों को पूरा करने के लिए चार महीने का अतिरिक्त समय मिल गया था।
इस्लामाबाद द्वारा 14 बिंदुओं को पूरा करने और 13 अन्य लक्ष्यों से चूकने की जानकारी मिलने के बाद, एफएटीएफ ने फरवरी में पाकिस्तान को अपनी 27-सूत्रीय कार्ययोजना को पूरा करने के लिए चार महीने की अतिरिक्त अवधि दी थी। वहीं सरकार ने 28 जुलाई को 27-बिंदु कार्य योजना के 14 बिंदुओं और एफएटीएफ की 40 सिफारिशों में से 10 के पालन को लेकर संसद में सूचना दी।
हालांकि, 16 सितंबर तक संसद के संयुक्त सत्र ने एफएटीएफ द्वारा आवश्यक अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप अपनी कानूनी प्रणाली को बेहतर करने के लिए लगभग 15 कानूनों में संशोधन किया है, लेकिन ये कानून एक दिखावा ही साबित हो रहे हैं।
सरकार ने एफएटीएफ और उसके संबद्ध समीक्षा समूहों को पहले ही अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, साथ ही उनके कमेंट का जवाब भी दिया है, जिसमें 13 सरकारी बिंदुओं का पालन करने की बात कही गई है। एजेंसी ने औपचारिक रूप से पाकिस्तान को जून 2018 में 'रणनीतिक कमियों' के कारण ग्रे सूची में रखा था।
विशेषज्ञों के अनुसार पाकिस्तान की ओर से जितनी भी कार्रवाई की गई हैं, वे सभी इस लिस्ट से बचने का दिखावा ही लग रही हैं। ऐसे में संभावना है कि पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाए।
इस तरह बर्बाद हो जाएगा पाकिस्तान
एफएटीएफ टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था है। यह आतंकियों को 'पालने-पोसने' के लिए पैसा मुहैया कराने वालों पर नजर रखने वाली एजेंसी है। कोई भी देश इसकी 'ग्रे लिस्ट' में नहीं आना चाहता क्योंकि यह अपने सदस्य देशों को टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गतिविधियों में शामिल होने से रोकता है। अंतराराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था को साफ-सुथरा बनाए रखना इस संस्थान का मकसद है।
अगर पाकिस्तान एफएटीएफ की 'ग्रे लिस्ट' में बना रहता है या उसे ब्लैक लिस्ट कर दिया जाता है तो पैसे की कमी से पहले ही जूझ रहा पाकिस्तान बर्बाद हो जाएगा। उसके लिए अंतराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद हासिल करना मुश्किल हो जाएगा।
Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.