नई दिल्ली: रूस की ओर से मॉस्को में अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच युद्धविराम समझौता कराने के बाद भी दोनों देशों के बीच युद्ध (Armenia Azerbaijan War) विकराल होता जा रहा है। युद्ध के बीच अजरबैजान ने दावा किया है कि अर्मेनिया ने उनके शहर गांजा पर स्कड मिसाइलों से हमला किया है। जिसमें 12 लोगों की मौत हो गई है और कई घर तबाह होने के बाद सेंकड़ों घायल हो गए हैं। अजरबैजान के दूसरे बड़े शहर गांजा पर अर्मेनिया का यह लगातार दूसरा हमला है।
अजरबैजान के राष्ट्रपति के सहायक हिकमत हाजियेव ने हमले के बाद का वीडियो ट्वीट कर कहा, अजरबैजान के दूसरे सबसे बड़े शहर में निर्दोष नागरिक अर्मेनिया के अंधाधुंध और लक्षित मिसाइल हमले में मारे जा रहे हैं। मानवीय युद्धविराम के लिए हुए समझौते के तहत अर्मेनिया के इन 'युद्ध अपराधों' को देखना चाहिए। शुरुआती जानकारी के अनुसार 20 से अधिक घर नष्ट हो गए हैं।
इससे पहले हाजियेव ने कहा था कि अर्मेनिया ने उसके टार्टर शहर पर आर्टिलेरी अटैक किया है। कहा गया कि 100 से ज्यादा आर्टिलरी मिसाइलों ने शहर और उसके गांवों पर हमला किया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और छह लोग घायल हो गए।
इधर, अर्मेनिया के प्रधानमंत्री की पत्नी एना हैकोब्यान ने युद्ध में घायल बच्चों के फोटो ट्वीट कर कहा, क्या इन बच्चों में कोई अंतर है? क्या उनमें से एक दूसरे से अधिक पीड़ित था? क्या उनमें से एक दूसरे के मुकाबले इस लायक था? एक व्यक्ति इन बच्चों के बीच अंतर नहीं कर सकता है। यह असंभव है।
दरअसल, उन्होंने ये फोटो हाजियेव के उस ट्वीट के बाद किया था जिसमें अजरबैजान का एक बच्चा युद्ध में घायल होता दिखाई दे रहा है। इसके जवाब में ही उन्होंने ये फोटो डालकर अजरबैजान पर सवाल उठाया है।
'स्कड' मिसाइलें
युद्ध में अजरबैजान दावा कर रहा है कि अर्मेनिया उस पर स्कड मिसाइलों से हमला कर रहा है। दरअसल, स्कड मिसाइलें बैलिस्टिक मिसाइलों की एक सीरीज है। इन्हें सोवियत यूनियन ने तैयार किया था। इरान—ईराक, गल्फ वॉर, अफगान सिविल वॉर, यमिनी सिविल वॉर के साथ ही कई युद्धों में इस्तेमाल किया गया है। 36.9 फीट लंबी ये मिसाइल 700 किलोमीटर तक वार कर सकती है। ये मिसाइल एक सेकंड में डेढ़ किलोमीटर की दूरी तय कर लेती है। चंद मिनटों में शहरों को तबाह करने की ताकत रखती है।
इसलिए छिड़ा है युद्ध
यह युद्ध नागोर्नो कारबाख (Nagorono Karbakh) के विवादित क्षेत्र पर कब्जे के लिए छिड़ा है। कहा जाता है कि अधिकारिक रूप से यह अजरबैजान का हिस्सा है, लेकिन यहां की ज्यादातर आबादी अर्मेनियाई है। यह क्षेत्र सोवियत संघ के टूटने के बाद 1990 के दशक में दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ने के बाद से अर्मेनिया द्वारा नियंत्रित किया गया है। हालांकि अजरबैजान इस पर अपना कब्जा बताता है। 1994 में हुए युद्ध के बाद कम से कम 30,000 लोग मारे जा चुके हैं। यह संघर्ष दोबारा 27 सितंबर को बढ़ गया था। इसके बाद से ही लगातार शहरों पर मिसाइल हमले हो रहे हैं।
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