नई दिल्ली: तालिबान ने अफगानिस्तान में कमाल खान डैम की सुरक्षा करने वाले सुरक्षाकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया। अधिकारिक रूप से कहा जा रहा है कि 6 सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई है। निम्रोज प्रांत के खाश्रोद जिले में इस वारदात को अंजाम दिया गया। हालांकि रक्षा मंत्रालय द्वारा अब तक कोई टिप्पणी नहीं की गई है। यह ताजा घटना दोहा में तालिबान और अफगानिस्तान सरकार के बीच चल रही शांति वार्ताओं के बावजूद सामने आई है।
गुरुवार को रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि तालिबान आतंकवादियों ने पिछले 24 घंटों में 24 प्रांतों में अपने हमलों का विस्तार किया है। जिसमें ताखर, हेलमंद, उरुजगन, कुंडुज, बागलान, लगमन, पक्तिया, पक्तिका, गजनी, लोगर, मैदान वार्डक, कंधार, ज़ाबुल, हेरात, फराह, बादघिस, फरियाब, सर-ए-पुल और बदख्शां प्रांत शामिल हैं। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि तखार प्रांत में बुधवार रात एक अफगान वायु सेना की एयर स्ट्राइक ने तालिबान के कई कमांडरों सहित 12 तालिबानियों को मार डाला। स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि उत्तरी फ़ारिब प्रांत में एक मोर्टार हमले में कम से कम चार नागरिक मारे गए और 10 अन्य घायल हो गए। बुधवार को तालिबान ने हेरात प्रांत में बिजली लाने वाले एक बिजली संयंत्र को नष्ट कर दिया था।
तालिबान अफगान सरकार के खिलाफ पिछले महीने से आक्रामक है। तालिबान ने निम्रोज प्रांत के खाश्रोद जिले में एक सेना की चौकी पर हमला किया था, जिसमें 20 से अधिक सुरक्षा बल के सदस्य मारे गए थे और छह को बंधक बना लिया गया था। दरअसल, कमाल खान डैम अफगानिस्तान में बिजली और खेती के लिए प्रमुख बांध है। निम्रोज में चहारबारक जिले में हेलमंद नदी पर बने कमाल खान डैम में 174,000 हेक्टेयर भूमि को सिंचित करने की क्षमता है और यह ज़मरोज़ शहर को भी पानी की आपूर्ति करता है।
कमाल खान बांध पर निर्माण कार्य 1974 में शुरू किया गया था, लेकिन अफगानिस्तान के मोहम्मद दाउद खान की मृत्यु के बाद बांध पर काम रोक दिया गया था। 1966 और 2011 में निर्माण के चरण 1 और 2 समाप्त हो गए थे। 19 अप्रैल 2017 को अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी द्वारा बांध के तीसरे चरण पर काम शुरू किया गया।
फिलहाल इसके तीसरे चरण का काम चल रहा है। इस बांध के तीसरे चरण का काम पूरा होने के बाद नौ मेगावाट बिजली प्रदान करेगा। अफगानिस्तान की 'पूंजी' और जनजीवन को चलाने वाला यह बांध पड़ोसी देशों के निशाने पर बना रहता है। ईरानी सरकार अफगान सरकार पर ईरान की ओर पानी छोड़ने का दबाव डाल रही है। हालांकि ये बांध होने के बावजूद अफगानिस्तान में पानी की कमी है।
हेमलेंड नदी अफगानिस्तान के जिलों से होकर पाकिस्तान, ईरान, उज्बेकिस्तान और तुर्केमिनिस्तान तक जाती है। ईरान सरकार कहती है कि अफगानिस्तान द्वारा बांध बनाने से पारिस्थितिकी तंत्र पर बुरा असर पड़ेगा। अफगानिस्तान इसके पानी को ईरान तक जाने से रोकता है तो ईरान के जल प्रपात सूख जाएंगे। इस वजह से यह विवाद काफी सालों से बना हुआ है।
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