नई दिल्ली: चालबाज चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। एक तरफ तो उसकी साजिशें भारत के खिलाफ चल रही हैं, वहीं दूसरी ओर वह अन्य पड़ोसी देशों को भी लगातार निशाना बना रहा है, लेकिन उसे हर बार मुंह की खानी पड़ रही है। ताइवान से चीन की तनातनी (Taiwan China Clash) चल रही है। पिछले कुछ हफ्तों में चीनी फाइटर जेट्स ने ताइवान स्ट्रेट के मध्य स्तर को पार कर लिया। हालांकि ताइवान ने भी उसे औकात दिखा दी और दुनिया की बेहतरीन सेना में शुमार उसकी आर्मी ने उन्हें अपनी ताकत का अहसास भी करवा दिया।
हाल ही ताइवान और चीन के बीच भी तनाव काफी अधिक बढ़ गया है। बीते कुछ महीने से चीन लगातार ताइवान को धमकी दे रहा है और अब कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े अखबार ग्लोबल टाइम्स ने यहां तक कहा है कि आगे बढ़ने का एक ही रास्ता है- वह है युद्ध। इस तनातनी के बीच ताइवान की रक्षामंत्री ने भी अपनी सेनाओं को अलर्ट पर रख दिया है। रक्षामंत्री येन ते फा ने कहा, ताइवान ने चीनी घुसपैठ के खिलाफ अपनी वायु सेना को खदेड़ने पर इस वर्ष लगभग $ 900 मिलियन खर्च किए हैं। उन्होंने कहा कि ताइवान काफी दवाब का सामना कर रहा है। चीन, जो अपने क्षेत्र के रूप में लोकतांत्रिक ताइवान का दावा करता है, उसने द्वीप के पास अपनी सैन्य गतिविधि बढ़ा दी हैं।
अमेरिका का ताइवान को साथ
इधर चीन के खिलाफ ताइवान को अमेरिकी समर्थन में वृद्धि हुई है। हाल ही अमेरिकी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने ताइवान की यात्राएं की हैं और हथियारों की बिक्री में वृद्धि की है। साथ ही ताइवान के दक्षिण-पश्चिम वायु रक्षा पहचान क्षेत्र में कई मिशनों की शुरुआत की है।
संसद में बोलते हुए, ताइवानी रक्षा मंत्री येन ते फा ने कहा कि वायु सेना ने इस साल चीनी विमानों के खिलाफ $ 25.5 बिलियन ($ 886.49 मिलियन) की लागत से 2,972 बार संघर्ष किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस वर्ष वायु सेना के 4,132 मिशन किए गए हैं। जिसमें ट्रेनिंग और पेट्रोलिंग शामिल है। ये मिशन पिछले साल से 127 प्रतिशत ज्यादा है। रक्षामंत्री ने कहा कि सशस्त्र बल इस महीने में ताइवान के दक्षिण-पश्चिम तट से खुद की ड्रिल करेंगे, हालांकि वे लाइव फायर नहीं करेंगे।
ताइवान के सशस्त्र बल अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं और चीन की हर हरकत का जवाब देना जानते हैं। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने पहले स्वीकार किया है कि चीनी सेना बार-बार उनके क्षेत्र में ड्रिल कर रही है। इसके जवाब में ताइवान अपने लड़ाकू बेड़े को फिर से लाने की तैयारी में है। अमेरिका ने पिछले साल ताइवान को एफ -16 लड़ाकू जेट की 8 बिलियन डॉलर की बिक्री को मंजूरी दी थी। इस सौदा के मुताबिक ताइवान को 200 से अधिक विमान दिए जाएंगे। यह एफ -16 फाइटर जेट का एशिया में सबसे बड़ा बेड़ा है।
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