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नई दिल्ली: यूक्रेन-रूस की जंग के बीच शुक्रवार को बुलाई गई नाटो की बैठक में स्वीडन और फिनलैंड की मौजूदगी को लेकर रूस भड़क उठा है। दोनों देशों को बैठक में आमंत्रित सदस्य के तौर पर बुलाया गया था, लेकिन रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने साफ कर दिया है कि अगर दोनों देशों ने नाटो में शामिल होने की कोशिश की तो हानिकारक परिणाम होगा।
रूसी विदेश मंत्रालय की मारिया ज़खारोवा प्रवक्ता ने कहा कि अगर स्वीडन और फ़िनलैंड ने नाटो में शामिल होने की कोशिश की तो इसके परिणाम 'हानिकारक परिणाम' होंगे। उन्होंने कहा कि स्वीडन और फ़िनलैंड के नाटो सदस्य बनने पर मास्को को जवाब देना होगा।
मारिया ज़खारोवा ने कहा, "सभी ओएससीई सदस्य देशों ने अपनी राष्ट्रीय क्षमता में, फिनलैंड और स्वीडन सहित, ने इस सिद्धांत की पुष्टि की है कि एक देश की सुरक्षा दूसरों की सुरक्षा की कीमत पर नहीं बनाई जा सकती है। जाहिर है, फिनलैंड और स्वीडन का नाटो में प्रवेश, जोकि मुख्य रूप से एक सैन्य गठबंधन है, जैसा कि आप अच्छी तरह से समझते हैं, इसके गंभीर सैन्य और राजनीतिक परिणाम होंगे, जिसके लिए हमारे देश को प्रतिक्रिया कदम उठाने की आवश्यकता होगी।''
गुरुवार को नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने स्वीडन और फिनलैंड को शुक्रवार को यूक्रेन और उसके आसपास की स्थिति पर नाटो आभासी शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। उसी दिन, फ़िनिश प्रधानमंत्री सना मारिन ने कहा कि फ़िनलैंड नाटो में शामिल होने के लिए तैयार होगा "यदि राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा तीव्र हो जाता है।"
हालांकि रूस की धमकी से बेखौफ स्वीडन की प्रधानमंत्री ने कहा है कि वे रूस की भर्त्सना करते हैं और नाटो देशों के साथ खड़े हैं।
स्वीडन प्रधानमंत्री ने कहा, ''यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ लगातार संपर्क में है। स्वीडन यूक्रेन के साथ पूरी एकजुटता के साथ खड़ा है और हम अपना समर्थन बढ़ा रहे हैं। अवैध रूसी आक्रमण के खिलाफ यूरोपीय संघ के प्रतिबंध जारी हैं।''
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