नई दिल्ली: अमेरिका और ईरान के बीच टेंशन हर सेकंड, हर मिनट और हर दिन बढ़ती जा रही है। अमेरिका के सीरिया में किए हवाई हमले के बाद ईरान ने बाइडेन को साफ संदेश दिया है कि वो सीरिया का समर्थन करता रहेगा। मतलब साफ है युद्ध का ट्रिगर किसी भी वक्त दब सकता है।
बाइडेन ने व्हाइट हाउस में आने के 36वें दिन अपना इरादा साफ कर दिया। इराक में 15 फरवरी को अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर रॉकेट से हमले हुए तो बाइडेन ने 10 दिन बाद सीरिया में ईरान सपोर्टर मिलिशिया को सबक सिखा दिया, लेकिन अमेरिका के इस एक्शन से ईरान ऐसा तिलमिला रहा है कि उससे ये हमला ना झेला जा रहा है और ना ही वो सीधे अमेरिका के खिलाफ कोई एक्शन ले पा रहा है। यही वजह है कि ईरान अब अमेरिका की चाल चलने की कोशिश कर रहा है।
खबरों के मुताबिक, सऊदी अरब की राजधानी रियाद पर रॉकेट से हमला किया गया। आरोप है कि ईरान समर्थित हौथी ने यमन से सऊदी अरब की ओर एक बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च की, लेकिन अरब गठबंधन ने हवा में अपनी डिफेंस पावर का इस्तेमाल कर हमले को नाकाम कर दिया। अरब गठबंधन ने कहा कि विद्रोहियों ने दक्षिण-पश्चिमी शहर खामिस मुश्यत और जजान पर रॉकेट से हमला किया। ग्रुप ने हौथी मिलिशिया पर नागरिकों और रिहायशी इलाकों पर हमला करने और युद्ध भड़काने के अपराध का आरोप लगाया है।
इज़राइल पर रुहानी का वार!
अमेरिका ने सीधे ईरान पर हमला नहीं किया। सीरिया में ईरानी स्पोर्टर मीलिशिया को जख्म देकर बाइडेन ने ईरान को एक तीर से दो शिकार किया है। बाइडेन ने एयर स्ट्राइक से सीरिया में ईरान के तानाशाही समर्थन पर सीधा हमला किया और दूसरी तरफ परमाणु प्रोग्राम को लेकर ईरान के टशन पर बाइडेन ने नजरें टेढ़ी कर ली हैं।
बाइडेन के इस अटैक ने रुहानी को नाराज़ कर दिया है। रुहानी भी अब अमेरिका पर सीधा हमला ना बोलकर अमेरिका के दोस्तों से जख्मों का हिसाब लेने की तैयारी कर रहा है। सीरिया में बाइडेन के हमले के बाद ओमान की खाड़ी में इजराइल की कार्गो शिप में धमाका हुआ और इज़राइली शिप पर हुए धमाके का आरोप ईरान पर लग रहा है। अमेरिका-ईरान के बीच मचे घमासान के बीच इस धमाके ने टेंशन बढ़ा दी है। अमेरिका ने भी अपने सैनिकों को पूरी तरह से अलर्ट रहने के लिए कहा है।
एशिया के बीचों बीच चार देशों की तनातनी का सूत्रधार भले ही ईरान है, लेकिन अगर जंग की चिंगारी और ज्यादा भड़की तो पूरे एशिया को इसकी चपेट में आने से कोई रोक नहीं पाएगा।
सीरिया में मौजूद अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाने की फिराक में ईरान समर्थित आतंकी गुट रहते हैं। ईरान खुद को हमेशा इन हमलों के आरोपों से दूर रखने की कोशिश करता है। लेकिन अमेरिका का मानना है कि ईरान के सपोर्ट के बगैर आतंकी गुट अपनी ताकत की नुमाइश नहीं कर सकते और इन हमलों के पीछे सिर्फ और सिर्फ ईरान ही जिम्मेदार है।
दरअसल, खाड़ी देशों के बीच ईरान खुद को शहंशाह मानता है। सीरिया पर अपना दबदबा बढ़ाना चाहता है। इराक अमेरिका, ईरान, सीरिया के बीच जंग का अखाड़ा है। सऊदी अरब ईरान के हथियारों की होड़ से डरता है। कुछ यही हाल यमन का भी है। यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों का गढ़ है, जो अक्सर सऊदी अरब में हमलों को अंजाम देते रहते हैं।
अब सीरिया, सऊदी और इज़राइल के नाम पर अमेरिका और ईरान के बीच तनातनी ऐसे वक्त में शुरू हुई है। जब ईरान अपने परमाणु प्रोग्राम को धार देने के लिए किसी भी हद तक जाने का ऐलान कर चुका है और अमेरिका दोबारा ईरान पर नकेल कसने की तैयारी कर रहा है।
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