नई दिल्ली: एक तरफ जहां चीन जबरदस्ती पड़ोसी देशों की जमीन हथियाने की नापाक कोशिश में जुटा है, वहीं अब उसके घर में उसके खिलाफ बगावत भी शुरू हो गई है। ज़बरदस्ती कब्जे और भाषा बदलने के विरोध में चीन के खिलाफ इनर मंगोलिया के लोगों ने प्रदर्शन शुरु कर दिया है।
उत्तरी चीन के कई इलाकों में इनर मंगोलिया के लोग ने सड़कों पर उतर आए हैं। दरअसल, वन चाइना पॉलिसी के तहत चीनी सरकार ने इनर मंगोलिया के स्कूलों में स्थानीय मंगोल भाषा को हटाकर छात्रों को चीनी भाषा में पढ़ाई कराने का आदेश जारी किया है। तिब्बत और सिनकियांग की तरह धीरे-धीरे चीन की हान (Han) संस्कृति को इलाके पर लागू किया जा रहा है।
हान मूल के लोगों को चीन के दूसरे इलाकों से लाकर इनर मंगोलिया में बसाया जा रहा है। पूरे इलाके में इनर मंगोलिया के मूल निवासी सिर्फ 18 फीसदी रह गए हैं। ऐसे में जबरदस्ती चीनी भाषा लादने की कोशिश के बाद लोगों के सब्र का बांध टूट गया है।
चीन की इस करतूत के खिलाफ स्कूलों और कॉलेज से सड़कों पर निकल आए छात्रों के विद्रोह को दबाने के लिए ड्रैगन ने सेना उतार दी है। छात्रों को जबरदस्ती वापस स्कूल-कॉलेज में भेज जा रहा है। बच्चों के समर्थन में उतरे मां-बाप को पकड़ कर बंद किया जा रहा है। 50 लाख इनर मंगोलिया के निवासियों के साथ हो रहे इस अन्याय पर दुनिया चुप है।
बता दें कि चीन में पांच स्वायत्त प्रांत हैं, जिसमें से एक इनर मंगोलिया भी है। ये इलाका रणनीतिक लिहाज से काफी अहम है, क्योंकि इसके एक तरफ रूस है तो दूसरी तरफ मंगोलिया। दुनियाभार के खनिज यहां की धरती में मौजूद है, जिस वजह से चीन ने न केवल यहां अपना आधिपत्य जमा लिया है, बल्कि अब वहां की संस्कृति को भी बदल रहा है, जिसके खिलाफ लोग अब सड़कों पर हैं।
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