नई दिल्ली: पिछले 40 दिन से बारूदी धमाकों से दहल रहे नागोरनो-काराबाख की जंग का नतीजा आ गया है, जिसमें आर्मीनिया की हार हुई है। अजरबैजान, तुर्की और आतंकियों का गठजोड़ जीत गया है।
पुतिन ने सीजफायर का समझौता भले करवा दिया, लेकिन आर्मीनिया को काराबाख हमेशा के लिए छोड़ना होगा। हार के साथ ही काराबाख में विभाजन वाला गदर शुरू हो गया है। इस पहाड़ी इलाके में रहने वाले हजारों लोग अपना घर-मकान छोड़कर आर्मीनिया भाग रहे हैं।
नागोरनो-काराबाख के हर शहर पर अजरबैजान का कब्जा हो रहा है, लेकिन अजरबैजान की सेना को इन शहरों में सिर्फ जले हुए घर और तबाह बाजार मिल रहे हैं। नागोरनो काराबाख में रहने वाला कोई भी इंसान अब यहां रहना नहीं चाहता।
नागोरनो- काराबाख से आर्मीनिया की तरफ जाने वाले रास्तों पर जाम लगा है। आर्मीनिया की हार के बाद काराबाख के लोगों को नरसंहार का खौफ है। इसी खौफ में काराबाख के लोग अजरबैजान की सेना और आतंकियों के आने से पहले अपना सबकुछ छोड़कर आर्मीनिया की तरफ चले जाना चाहते हैं, लेकिन जाने से पहले वो अपने काराबाख और अपनी विरासत से आखिरी बार मुलाकात करन रहे हैं। नागोरनो काराबाख को चर्च बम-गोलियों से तबाह हो गए हैं। वापस जाने से पहले काराबाख के लोग इन ऐतिहासिक इमारतों के खंडहरों में आखिरी बार प्रार्थना कर रहे हैं।
नागोरनो-काराबाख में रहने वाले तो अपनी जान बचाकर आर्मीनिया की तरफ चल पड़े हैं। लेकिन उनके पीछे ISIS और एर्दोगोन के आतंकी सदियों पुरानी इमारतों को तहस नहस कर रहे हैं। जीत का ये जश्न सदियों पुरानी विरासतों को पैरों से रौंदकर जीत का जश्न मनाया जा रहा है।
काराबाख के लोग पीछे हट रहे हैं। एर्दोगान की सेना और ISIS के आतंकी आगे बढ़ते आ रहे हैं। काराबाख के गांवों के गेटों पर तीन झंडे टांगे जा रहे हैं। अजरबैजान, तुर्की और पाकिस्तान का।
नागोरनो-काराबाख की राजधानी स्टेपानाकर्ट तक अजरबैजान का कब्जा हो गया है। पूरा शहर अब भूतिया लगता है, लेकिन इस वीडियो में देखिये सिर्फ 2 महीने पहले ये शहर कितना खूबसूरत था।
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