नई दिल्ली: चीन के चंगुल में फंसा पाकिस्तान अब बलूचों के वजूद मिटाने पर तुल गया है। जैसे चीन शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों का टॉर्चर कर रहा है, वैसे ही इमरान खान की आर्मी बलूचों का टॉर्चर कर रही है। पाकिस्तान ने बकायदा बलूचिस्तान में इसके लिए डिटेंशन सेंटर बना लिए हैं। बलूचिस्तान में इमरान के टॉर्चर सेंटर हिटलर के होलकॉस्टर की याद दिला रहे हैं।
बलूचिस्तान जिसे पाकिस्तान अपना हिस्सा होने का दावा करता है। जहां रहने वाले लोगों को वो अपना नागरिक कहता है लेकिन जैसे ही वो अपनी आजाद़ी की बात करते हैं। सेना उनपर दुश्मन की तरह टूट पड़ती है। आतंकियों की तरह गोली मार देती है। जेलों में यातना देती है। घर से बाजार तक, सड़क से शहर तक हर जगह जुल्म ढाती है। यहां तक कि मासूम बच्चियों को भी घसीटकर सलाखों के पीछे पहुंचा देती है। जेलों में कैदियों को भूख से तड़पाती है। रोटी मांगने पर डंडे बरसाती है।
बलूचों पर पाकिस्तानी सेना की जुल्म ज्यादती नई नहीं है, जो कोई भी पाकिस्तान की गुलामी के खिलाफ आवाज उठाता है। उसे इमरान की आर्मी सलाखों के पीछे पहुंचा देती है। जेलों में सड़ा देती है, हालांकि कई बार अदालत से आंदोलनकारियों की रिहाई हो जाती है और पाकिस्तानी सेना चाहकर भी इनका कुछ नहीं कर पाती। लेकिन अब बाजावा की बर्बर आर्मी इसका भी तोड़ ढूंढ निकाला है।
इमरान खान की हुकूमत ने बलूचिस्तान के लोगों की जुबान बंद करने के लिए ऐसे डिटेंशन सेंटर बनाए हैं, जो नाजी सेना के डिटेंशन सेंटर की याद दिला रहे हैं। इन यातना शिविरों में पाकिस्तान की आर्मी बलूचों पर अत्याचार करती है। बलूचों का नरसंहार करती है। बलूचों पर पाकिस्तानी सेना का टॉर्चर हिटलर के हॉलोकोस्ट की याद दिला रहा है। नाजी सेना की बर्बरता की याद दिला रहा है। पाकिस्तानी सेना बलूचों के साथ वही सलूक कर रही है जो फिलहाल चीन की सेना उइगर मुसलमानों के साथ कर रही है।
दरअसल पाकिस्तान अपने सदाबहार यार चीन की तरह ही बलूचिस्तान में बलूच संस्कृति और पहचान को मिटाने की कोशिश कर रहा है। बलूचों का वजूद मिटाने की कोशिश कर रहा है। बाजवा की बर्बर आर्मी बलूचों पर वैसे ही जुल्म ढा रही है। जैसे चीन की सेना अपने शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के साथ करती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में कई डिटेंशन सेंटर बनाये हैं। जिसमें आत्मसमर्पण करने वाले बलूच लड़ाकों को रखा जाता है। जमात ए इस्लामी जैसे कट्टर संगठन इन बलूचों का ब्रेन वॉश करते हैं। यहां बलूचों से बलूचिस्तान की मांग छोड़ने को कहा जाता है। उन्हें अपनी संस्कृति और पहचान को छोड़ने का दबाव बनाया जाता है। बलूचों को इस्लाम का हवाला देकर 'धार्मिक देशभक्त' बनाया जाता है।
जाहिर है इमरान की आर्मी बलूचों के साथ वही कर रही है जो जिनपिंग की आर्मी उइगरों के साथ करती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2018 में पाकिस्तान आर्मी के लेफ्टिनेंट जनरल रहे आसिम सलीम बाजवा ने इन डिटेंशन सेंटर्स की शुरुआत की थी। बलूच संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जब इन टॉर्चर कैंप्स का विरोध किया तो सेना ने तर्क दिया कि वो गुमराह हुए लोगों को मुख्यधारा में लौटने की ट्रेनिंग दे रही है। लेकिन सच्चाई ये थी कि पाकिस्तानी आर्मी बलूचों को मिटा डालना चाहती है।
बलूचों के खिलाफ पाकिस्तानी सेना के अत्याचार की सबसे बड़ी वजह ये है कि बलूच अपने इलाके के कुदरती संसाधनों को लूटने का विरोध कर रहे हैं। जिनपिंग और इमरान की ज़हरीली साजिश के तहत बन रहे चीन पाकिस्तानी इकॉनोमिक कॉरिडोर के खिलाफ हथियार उठाये हुए हैं।
जिस वक्त बलूचों ने चीनी परियोजना के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध छेड़ा था तब आसमि सलीम बाजवा पाकिस्तानी सेना के दक्षिणी कमांड के प्रमुख थे और बलूचों पर अत्याचार के इनाम के तौर पर ही बाजवा को 60 अरब डॉलर के सीपीईसी प्रोजक्ट का चेयरमैन बनाया गया था। लेकिन आसिम बाजवा कितना बड़ा बेइमान था इसका सबूत तब सामने आया जब उसके घोटालों का खुलासा हुआ। चीन के साथ मिलकर बलूचों को लूटने वाले बाजवा ने अरबों का वारा न्यारा किया। पाकिस्तान का पिज्जा बनाकर चार देशों में अकूत दौलत खड़ी कर ली।
बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना ने जुल्म की इंतेहा कर रखी है। आजादी की मांग करने वाले बलूचों को बूटों से रौंदा जाता है। कुदरती संसाधनों की लूट का विरोध करने वालों को जिंदा दफन कर दिया जाता है और अब तो पाकिस्तानी सेना ने इनकी पहचान मिटाने की ही ठान ली है। यही वजह है कि इन्हें टॉर्चर कैंप में रखा जा रहा है। आतंकियों के जरिए इनका दिमाग बदलने की कोशिश हो रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तानी सेना ने अबतक 178 बलूचों का ब्रेनवॉश किया है। पाक सेना ने ब्रेन वाश के लिए सबसे पहले उम्मेद-ए-नउ नाम से सेंटर बनाया था। बाद में सेना ने इसका नाम बदलकर दरपेश कर दिया। इस सेंटर में दिसंबर 2018 से मार्च 2019 तक 50 बलोच रखे गए। अप्रैल-जुलाई 2019 के बीच दूसरे बैच में 128 बलूचों का ब्रेनवॉश हुआ।
पाकिस्तानी सेना इन उग्रवादियों के ब्रेनवाश के लिए हरकत उल मुजाहिद्दीन और जैश ए मोहम्मद के पैतृक संगठन जमात ए इस्लामी का सहारा लेती है। जमात ए इस्लामी बलूचों को धार्मिक कट्टरता का पाठ पढ़ाती है। बलूचिस्तान की आजादी की मांग को छोड़कर पाकिस्तान के आतंकी एजेंडे पर चलने को कहती है। ज्यादा दिनों तक इन टॉर्चर कैंपों में रहने वाले बलूच खूंखार आतंकी बन जाते हैं। पहले जो पाकिस्तान की सेना से लड़ते थे। इन टॉर्चर कैंप्स में रहने के बाद भोले भाले लोगों की जान के दुश्मन बन जाते हैं।
बलूचिस्तान को कुदरत ने वो सारे संसाधन दिए हैं जो किसी भी देश को मालामाल बना सकते हैं। लेकिन पाकिस्तान बलूचिस्तान के विकास के बजाय, उसे चीन के फायदे के लिए बदहाल रखना चाहता है। चीन से दोस्ती और पैसे के चक्कर में इमरान की सरकार निर्दोष बलूचों को दमन कर रही है। बाजवा की सेना बर्रबरता की हदें लांघ रही है। पूरी दुनिया में बलूच प्रदर्शन कर रहे हैं। अपनी आजादी की मांग बुलंद कर रहे हैं, लेकिन इमरान खान की हुकूमत चीन के चक्कर में बलूचों को दफन करने पर आमादा है।
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