संजीव त्रिवेदी, नई दिल्ली: नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और चीन की बढ़ती नजदिकियों को कम करने के लिए वहां पर कुछ नियमों में बदलाव किए गए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ने यह पाया था कि नेपाल में चीन की राजदूत हाओ यांकी देश की राजनीति में कुछ ज्यादा ही हस्तकक्षेप कर रही है और वह नीतियों को भी अपने हिसाब से प्रभावित करने में लगी है। इसको देखते हुए पार्टी के अंदर हुए मंथन के बाद नए नियमों को जारी करने का आदेश दिया गया।
खबर आ रही है कि भारत के खिलाफ नेपाल को भड़काने में लगीं चीन की राजदूत हाओ यांकी और दूसरे सभी राजदूतों के लिए नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति से सीधे मुलाकात मुश्किल हो गई है। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने विदेशी राजनयिकों के लिए नियमों में बदलाव करने का फैसला किया है। इसके तहत अब कोई भी फॉरेन डिप्लोमैट किसी भी नेता से दूसरे देशों की तरह तय प्रक्रिया या प्रोटोकॉल के अनुसार ही मिल सकेगा।
नेपाल में चल रहे सियासी संकट के बीच हाओ यांकी ने सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के कई नेताओं के अलावा राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी तक से सीधे मुलाकात की थी। ओली की सत्ता को बचाने के लिए दिन-रात एक करने वाली चीन की राजदूत हाओ यांकी के खिलाफ नेपाल में सड़क से लेकर राजनीतिक गलियारे तक विरोध तेज हो गया था, जिसके बाद ये कानून बनाये गए हैं।
बताया जाता है कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली सहित कई नेताओं से हाओ यांकी सीधे मिलती है और दूसरे देशों के खिलाफ क्या रणनीति बनानी है, इसपर उनको चीन से आए संदेश के बारे में अवगत कराती है। हाओ यांकी के इशारे पर ही नेपाल में भारत के खिलाफ अपने नक्शे में बदलाव भी किया था। यही नहीं प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने उनकी सरकार को गिराने का बयान भी हाओ यांकी के कहने पर ही दिया था, जिसके बाद नेपाल में सरकार अस्थिर हो गई थी।
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