संजीव त्रिवेदी, नई दिल्ली: मुसलमानों पर अत्याचार को लेकर संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में चीन की भारी बेइज्जती हुई है। संयुक्त राष्ट्र (UN) में 39 देशों ने शिनजियांग और तिब्बत में अल्पसंख्यक समूहों पर हो रहे अत्याचार और दमन को लेकर चीन को घेरा। इन देशों शिनजियांग और तिब्बत में अल्पसंख्यक समूहों पर अत्याचार को लेकर चीन को घेरा तो हॉन्गकॉन्ग में नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के मानवाधिकारों पर पड़ने वाले बुरे असर पर चिंता जाहिर की।
अमेरिका, कई यूरोपीय देशों, जापान और अन्य ने चीन से कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बेचलेट और स्वतंत्र पर्यवेक्षकों को शिनजियांग में निर्बाध रूप से जाने दे। साथ ही उइगर मुसलमानों और अल्पसंख्यक समुदाय के अन्य सदस्यों को कैद में डालना बंद करे।
संयुक्त बयान जारी होने के बाद यूएन में जर्मनी के राजदूत क्रिस्टॉफ ह्यूजेन ने कहा कि आज मानवाधिकारों के लिए एक बड़ी उम्मीद जगी है, जो चीन में वीगर मुसलमानों के लिए भी बड़ी उम्मीद है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में 39 देशों ने संयुक्त रूप से जारी बयान में चीन से कहा कि हांगकांग की स्वायत्तता, आजादी के अधिकार को बहाल किया जाए और वहां की न्यायपालिका की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाए।
वहीं जर्मनी के राजदूत क्रिसटोफ हेयूसगेन की ओर से यह बयान पढ़े जाने के तुरंत बाद पाकिस्तान ने चीन के कर्ज में फंसे 55 देशों की तरफ से ड्रैगन का बचाव किया और हॉन्गकॉन्ग में दखलअंदाजी का विरोध किया। पाकिस्तान ने कहा कि यह क्षेत्र चीन का हिस्सा है और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून एक देश, दो सिस्टम को सुनिश्चत करेगा। इसके बाद क्यूबा ने 45 देशों के तरफ से बयान पढ़ते हुए चीन के आतंक और कट्टरता के खिलाफ उठाए गए कदमों का समर्थन किया।
गौरतलब है कि चीन इसी नाम पर देश में उइगर मुसलमानों का उत्पीड़न कर रहा है। एक दूसरे के विरोधी बयान चीन और पश्चिमी देशों के बीच मानवाधिकार को लेकर तनाव को रेखांकित करते हैं। इन मुद्दों को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ गया है, इसके अलावा कोविड-19 महामारी, व्यापार और दक्षिण चीन सागर में बीजिंग की कार्रवाई को लेकर टकराव चरम पर है।
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