नई दिल्ली: सीमा विवाद जब सीमाओं को तोड़कर आम लोगों तक पहुंचता है तो सब कुछ तबाह होने लगता है। चीख, पुकार और हाहाकार की इस हकीकत में कई मासूम भी पिसते चले जाते हैं। अर्मेनिया और अजरबैजान में नार्गोनो-कारबाख क्षेत्र के लिए चल रहा विवाद युद्ध में तब्दील हो चुका है। इस युद्ध में दोनों देशों के 10 हजार से अधिक सैनिक शहीद हो गए हैं। युद्ध का असर अब आम लोगों पर भी दिखाई देने लगा है। हालांकि दोनों ही देश सीमाओं से बाहर आकर शहरों तक पहुंच रहे सैन्य हमलों के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, लेकिन इस बीच अजरबैजान के राष्ट्रपति के सहयोगी हिकमत हाजियेव ने एक फोटो ट्वीट कर दुनिया को चौंका दिया है।
हाजियेव ने एक 10 महीने की लड़की की फोटो ट्वीट की है। हाजियेव के अनुसार ये लड़की अर्मेनिया की ओर से दूसरे बड़े शहर गांजा पर किए गए मिसाइल अटैक में घायल हुई है। हाजियेव ने लिखा, पीढ़ी बदल जाती है लेकिन अज़रबैजान के लोगों के खिलाफ अर्मेनियाई अत्याचार समाप्त नहीं होते हैं। गांजा शहर के आवासीय क्षेत्रों में अर्मेनिया के मिसाइल हमले के परिणामस्वरूप 10 महीने की यह लड़की घायल हो गई थी। यह तस्वीर अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। जिसकी फिलहाल पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन राष्ट्रपति के सहयोगी द्वारा अधिकारिक ट्वीटर अकाउंट से इस फोटो के ट्वीट होने के बाद सवाल भी खड़े हो रहे हैं।
कुछ यूजर्स ने उनके इस फोटो को फोटोशॉप बताया है। जबकि कुछ ने अजरबैजान पर अर्मेनिया के शहरों पर हमला कर तबाह करने का आरोप लगाया है। अर्मेनिया के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता एना नाघडालयान ने अर्मेनिया के शहर स्टेपकानकर्ट में मिसाइल हमला कर आम लोगों को निशाना बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने एक वीडियो ट्वीट किया, जिसमें शहर की तबाही नजर आ रही है।
वहीं अर्मेनिया के विदेश मंत्री जोहराब नात्सकेनयान ने वीडियो फोटोज ट्वीट कर उनके शहरों पर मिसाइल अटैक करने का आरोप लगाया।
इसलिए चल रहा है युद्ध
यह युद्ध नागोर्नो-करबख नामक एक पहाड़ी क्षेत्र पर चल रहा है। अजरबैजान का दावा है कि यह क्षेत्र उसका है, जबकि आर्मेनिया इस पर अपना अधिकार जमाता है। हालांकि 1992 के युद्ध के बाद से इस क्षेत्र पर अर्मेनिया का कब्जा है। ऐतिहासिक रूप से, इस क्षेत्र में अलगाववादी संगठनों का वर्चस्व रहा है। इसके कारण कई दशकों के जातीय संघर्ष हुए हैं। दोनों देशों के बीच यह विवाद कई दशकों पुराना है। 1980 के दशक से 1992 तक दोनों देशों के बीच इस क्षेत्र को लेकर युद्ध हुआ। उस दौरान 30 हजार से अधिक लोग मारे गए थे और दस लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए थे। इस युद्ध में तुर्की अजरबैजान के समर्थन में है, जबकि रूस ने दोनों देशों के साथ व्यापार संबंधों को समाप्त करने की बात कही है।
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