मनीष कुमार, नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पिछले कई महीनों से गतिरोध जारी है। इस गतिरोध की बीच सैन्य झड़पें भी हो चुकी है, लेकिन भूमाफिया चीन की हेकरी कम होती नहीं दिख रही है। चालबाज चीन भारत पर दवाब बनाने और भारतीय सैना को पीछे हटाने के लिए हर दिन नए-नए बहाने बना रहा है। जानकारी मुताबिक चीन का कहना है कि दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव का मुख्य कारण भारत की ओर से 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर बुनियादी ढांचे को अपडेट करना है।
वहीं चालबाज चीन को भारत भी आइना दिखाने में पीछे नहीं है। भारत का चीन को साफ-साफ कहना है कि सीमा के उस पार पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने पहले ही निर्माण कर लिया है। मौजूदा समय में भी वह सीमांचल इलाकों सड़कों और कम्यूनिकेशन नेटवर्क को मजबूत कर रहा है। ऐसे में भारत द्वारा सीमावर्ती इलाकों में इंफ्राटक्चर डेवलपमेंट पर सवाल उठाना ठीक नहीं है और ये काम जारी रहेगा। भारत का साफ-साफ कहना है कि एलएसी में अपनी सीमा के अंदर बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है और इसके लिए उसे चीन के परमिशन की जरूरत नहीं है।
भारत के इस सख्त रूख से चीन तिलमिला गया है। चीनी मामलों के जानकारों की मानें तो पीएलए, लद्दाख में भारतीय बुनियादी ढांचे को बढ़ाने पर इसलिए चिंतित है क्योंकि यह पाकिस्तान के लिए अरबों डॉलर के पाकिस्तान आर्थिक गलियारे, या CPEC के लिए एक सैन्य खतरा पैदा कर सकता है, जो कि खुंजेर दर्रा और पाकिस्तान से होकर गुजरता है। इतना ही नहीं भारत ने गिलगिट-बाल्टिस्तान और पीओके में चीन की ओर से जारी काम पर कड़ी आपत्ति जताई है। साथ ही भारतीय ने पूर्वी लद्दाख में चीन के 1959 के कार्टोग्राफिक क्लेम लाइन के दावे को भी खारीज कर दिया है।
रक्षा विशेषज्ञ की मानें तो चीन की नजर देपसांग क्षेत्र पर है। चीन के लिए यह इलाका बेहद ही अहम है और ध्यान भटकाने के लिए वह दूसरे क्षेत्रों में आक्रामक है। चीन देपसांग की 972 स्क्वॉयर किलोमीटर की जमीन पर अपना दावा करता है। चीन इस बात को लेकर परेशान है कि देपसांग-दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) सेक्टर उसके वेस्टर्न हाइवे जी-219 के एकदम करीब है। यह हाइवे तिब्बत को शिनजियांग से जोड़ता है। देपसांग 16,000 फीट की ऊंचाई पर है और यह जगह डीबीओ पर एडवांस लैंडिंग ग्राउंड और काराकोरम पास तक जाती है।
जानकारों के मुताबिक लद्दाख में भारतीय जांबाजों के काउंटर अटैक से आहत शी जिनपिंग लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक सीमा पर नए तनाव खड़ा कर सकता है। पिछले कुछ महीने में एक के बाद एक दो बड़ी हार के बाद जिनपिंग की पीएलए कुछ भी कर सकती है। लेकिन भारतीय सेनाओं के भी हौसले बुलंद हैं। एलएसी पर भारतीय सेना पूरे लाव लश्कर के साथ तैयार है। अगर चीन की ओर से सरहद पर कोई नई हरकत होती है तो उसे लगातार तीसरी बार मुंह की खानी पड़ेगी और दुनिया के सामने एक बार फिर उसे अपनी नाक कटानी पड़ेगी।
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