नई दिल्ली: सरहद (LAC) पर जारी तनाव के बीच भूमाफिया चीन एकबार फिर भारत को चालबाजी दिखाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन भारत ड्रैगन की हर चाल को समझता है और उसी रणनीति से काम कर रहा है। चीन नए भारत के इस रूख को नहीं समझ पा रहा है छकाने के लिए दांव पर दांव चल रहा है जो उसे उलटा ही पड़ता जा रहा है।
तकरीबन छह महीने से सरहद पर जारी तनाव के बीच चीन भारत की नब्ज टटोल रहा है। पीछे हटने के लिए भारत पर लगातार दवाब रहा है। अपनी सैन्य ताकत दिखा रहा है। चीन अब इस मुगालते में है कि भारत को वो पीछे हटने के लिए मजबूर कर देगा और भारती इलाके में अपने अतिक्रमण मसूबों को अंजाम दे सकेगा। यही वजह है कि चीन ने सैन्य लेवल के ताजा दौर की बातचीत में डी-एस्केलेशन के लिए नया लेकिन अजीब सा प्रस्ताव रखा।
सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक सोमवार को लद्दाख के चुशूल में हुई बैठक उसने कहा कि वो पेंगोंग झील स्थित फिंगर 8 से वापस जाने को तैयार है, लेकिन भारत को फिंगर 4 से हटना होगा। चीन चाहत है कि भारत फिंगर 3 और फिंगर 2 के आसपास अपनी पोजिशन कर ले। लेकिन भारत चीन को साफ-साफ कह दिया है कि उसका इलाका फिंगर 8 तक जाता है। इसलिए, सैनिकों को फिंगर 4 से 3 पर बुलाने का तो सवाल ही नहीं उठता है।
भारत के इस रूख से चीन चकरा गया है। चीन को पता है कि भारत अपने सैनिकों को पीछे किसी भी कीमत पर वापस नहीं ला सकता क्योंकि इसने किसी तरह का अतिक्रमण नहीं किया है। इस साल मई महीने से पहले भारतीय सैनिक फिंगर 8 तक पेट्रोलिंग करने जाते थे और उन्हें रोका नहीं जाता था। उस वक्त भी चीनी सैनिक फिंगर 8 पर तैनात थे, लेकिन हद तो तब हो गई जब कि चीनी सैनिक भारतीय सैनिकों के पेट्रोलिंग पर आपत्ति जताने लगे। लिहाजा भारत का साफ-साफ कहना है कि चीन मई से पहले की स्थिति बहाल करनी होगी और फिंगर 8 पर पीछे जाना होगा।
भारत ने चीन पक्षकारों को साफ-साफ दो टूक में कह दिया है कि डीएक्सेलेशन की शुरुआत उसे ही करनी होगी, क्योंकि विवाद की शुरुआत भी उनके तरफ से हुई है। भारत यह भी अच्छी तरह से समझता है कि चीन कभी भी भरोसे के काबिल नहीं रहा है। पीठ में छूरा घोपना उसकी फिदरत है। उसपर ऐतवार करना खुद से खुद को घोखा देने जैसा है। भारत के सामने यह भी है कि सवाल अगर वो अपने सैनिक थोड़ा पीछे कर भी ले तो क्या चीन की पीपल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) फिंगर 8 तक सीमित रहेगी।
जानकारी के मुताबिक भारत ने सरहद पर तनाव करने के लिए चीन नया प्रस्ताव दिया है। जिसके मुताबिक दोनों देश पेंगोंग झील के दक्षिणी और उत्तरी छोरों से अपने-अपने सैनिक वापस बुला लें। लेकिन चीन यहां भी होसियारी दिखा रहा है। उसे स्पांगुर से लेकर रिचिन ला तक, पूरे दक्षिणी छोर के रणनीतिक मोर्चों पर भारतीय के सैनिक की तैनाती खल रही है लेकिन उत्तरी छोर पर अपने सैनिकों लाव लश्कर उचित लग रहा है।
दरअसल, भारत पेंगोंग झील के दक्षिणी किनारे के कई महत्वपूर्ण स्थलों पर ने अगस्त में मोर्चेबंदी कर ली थी। इससे चीन बौखला उठा है और चीनी सैनिक चोरी छिपे से उन जगहों तक पहुंचना चाहता है भारतीय सैनिकों ने नया मोर्चा बना रखा है। जिनपिंग की आर्मी कम से कम चार बार इन मोर्चों पर कब्जों की कोशिशें कर चुका है, लेकिन मौके पर मौजूद भारतीय सैनिकों की जांबाजी देखकर उनके होश पाख्ता हो गए हैं, लिहाजा अब वो छल की चाल चल रहा है।
वहीं भारत ने साफ ठान लिया है कि गलवान घाटी में जो हुआ, अब फिर नहीं होगा, चीन को कोई मौका नहीं दिया जाएगा। भारत का स्टैंड साफ और क्लियर है चीन को किसी भी सूरत में मई से पहले यानी अप्रैल 2020 के पॉजिशन पर लौटना ही होगा।
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