नई दिल्ली: जिस पाकिस्तान की अवाम के दम पर इमरान ख़ान ने प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली थी, उसी अवाम ने इमरान से इस्तीफ़ा मांग लिया है। अब पाकिस्तान की जनता लाखों की संख्या में प्रधानमंत्री इमरान के ख़िलाफ़ सड़कों पर उतर आई है। तख़्तापलट के तीसरे आंदोलन में ब्लूचिस्तान से पाकिस्तान की अवाम ने कहा कि नियाज़ी का बचना नामुमकिन, बाजवा अब अपने दिन गिन।
पाकिस्तान के ब्लूचिस्तान प्रांत से पीएम इमरान ख़ान को बहुत बड़ी चुनौती मिली है। 25 अक्टूबर को पीडीएम गठबंधन ने क्वेटा से ऐलान किया कि इमरान को पीएम की कुर्सी ही नहीं बल्कि सियासत भी छोड़नी होगी, क्योंकि वो संविधान का नहीं अपनी तानाशाही का कानून चलाते हैं।
मरियम नवाज़, नवाज़ शरीफ़, मौलाना फ़ज़लुर्रहमान और बिलावल भुट्टो समेत 11 दलों के नेताओं ने क्वेटा से अपने पीएम और सेना पर बड़ा हमला किया। ब्लूचिस्तान में पाकिस्तानी सरकार के इशारे पर सेना और पुलिस के ज़ुल्मों के ख़िलाफ़ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन होते रहे हैं और अब तो ख़ुद पाकिस्तान का पूरा विपक्ष लाखों लोगों के सामने क़ुबूल कर रहा है कि ब्लूचिस्तान के लोगों को सरकार और सेना मिलकर ग़ायब करवाती हैं।
पाकिस्तान सरकार के ख़िलाफ़ विपक्ष की तीसरी बड़ी रैली में देशव्यापी आंदोलन के तहत इमरान की घेराबंदी की गई। क्वेटा के अयूब स्टेडियम में हुई रैली से ठीक पहले एक ऐसी घटना हुई, जिसने इमरान सरकार और बाजवा की सेना के ख़िलाफ़ विपक्ष को हमले का एक और मौक़ा दे दिया। रैली स्थल से करीब पचास किलोमीटर दूर एक आतंकी हमला हुआ, जिसमें 3 लोग मारे गए। इस हमले के बावजूद रैली जारी रही और विपक्ष ने कहा कि इमरान सरकार पाकिस्तान के हित में वोट की इज़्ज़त करें और गद्दी छोड़ें।
इमरान सरकार को सत्ता से हटाने के लिए अब तक तीन आंदोलन हो चुके हैं, अब सिर्फ़ 3 रैलियां बाकी हैं, जो इमरान और पाकिस्तान का भविष्य तय करेंगी।
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