संजय गोदियाल, नई दिल्ली: पाकिस्तान की अवाम गुरबत में जी रही है। भूखों मर रही है और लोगों के किचन में खाने को खाना नहीं है। पकाने को गैस नहीं है, लेकिन इमरान खान चीन की दोस्ती के गुणगान में व्यस्त हैं। इमरान खान कभी नया मुल्क बनाने की बात करते हैं, तो कभी मुल्क से गरीबी हटाने के लिए दिन में ही सपने देखने लगते हैं। पाकिस्तान की गरीबी दूर करने के लिए उनको चीन का मॉडल पसंद आया है।
- चीन के विकास मॉडल का क्या भरोसा ?
ये पूरी दुनिया जानती है कि चीन की दोस्ती भी चीन के सामान की तरह ही होती है, जो कुछ ही दिन साथ रहती है। इमरान तो चीन की दोस्ती में मुल्क की पुरानी रिवायतों को तक भूल जाना चाहते हैं। इमरान खान भले ही ड्रैगन की तरह ही मुल्क को तरक्की की राह पर ले जाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन विपक्ष ने चंद मिनटों में ही इमरान के फंडे की हवा निकाल पीपीपी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो इमरान को सलाह दी है कि गरीबी बाद में दूर करना पहले अपनी जीडीपी बांग्लादेश और अफगानिस्तान से तो अच्छी कर लो।
-चीन की तारीफ कर फंसे इमरान खान ?
पाकिस्तान में इस वक्त जो हालात हैं उसके खिलाफ सड़कों से लेकर सियासत तक हर जगह संग्राम छिड़ा हुआ है। विपक्ष इमरान का इस्तीफा मांग रहा है, तो अवाम प्रदर्शन कर रही है लेकिन इमरान खान हकीकत को समझना ही नहीं चाहते।
मुंह से निकले शब्द और बंदूक से निकली गोली। कभी वापस नहीं लौटती ठीक उसी तरह से इमरान ने चीन की तारीफ में जो कसीदे पढे। उससे भले ही वो पलट जाएं, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है, क्योंकि प्रधानमंत्री के बयान की उनके ही मुल्क में खिल्लियां उड़ रही हैं। इमरान खान ने अपने पैर में कुल्हाड़ी मार ली गुरबत से निकालने के लिए चीनी मॉडल उनको बहुत महंगा पड़ गया। कंगाल पाकिस्तान में कर्ज के बोझ तले लोग दम तोड़ रहे है।
- पाकिस्तान पर कितना कर्ज ?
पाकिस्तान की हालत हर साल के साथ ही बदतर हो रही है। उसके पास कर्ज की किस्त चुकाने के भी पैसे नहीं हैं, लेकिन नियाजी खान की चीन की खोखली अर्थव्यवस्था के कसीदे पढ़ रहे हैं। अगर पाकिस्तान पर कर्ज का हाल समझना है तो इन आंकड़ों को जरा ध्यान से देख लीजिए.।
- 2002 में पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ 3,636 अरब रुपये था।
- 2007 में कर्ज बढ़कर 4,802 अरब रुपये हो गया।
- 2013 में कर्ज बढ़कर 14,318 तक पहुंच गया।
- 2018 में कर्ज बढ़कर 24,740 अरब रुपये हो गया।
- 2019 में इमरान के पाकिस्तान पर 32, 240 अरब रुपये का कर्च चढ़ गया।
यानी पाकिस्तान का हाल ये है कि मुल्क में पैदा होने वाला हर बच्चा कर्ज का बोझ लेकर कंगाल मुल्क में आंख खोल रहा है। पाकिस्तान में पैदा होने वाला हर बच्चा एक लाख 53 हजार 689 रुपए का कर्ज लेकर पैदा हो रहा है।
पाकिस्तान का कुछ नहीं हो सकता। साफ है कर्ज में डूबे इमरान जो सपने देख रहे हैं वो साकार करना आसान नहीं है, क्योंकि पाकिस्तान तो पहले से ही कंगाल है। अवाम के पास घर चलाने के लिए भी पैसा नहीं है, लेकिन सरकार बाहरी मुल्कों से लिए कर्ज से भी आतंकियों को पाल रही है। ऐसे में इमरान का मुल्क को गुरबत से निकालने की बात मुंगेरी लाल के सपने जैसे है।
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