नई दिल्ली: इमरान के खिलाफ पकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट यानी PDM की अगुवाई में बग़ावत का काफ़िला तेज़ी से बढ़ रहा है। महंगाई, आतंकवाद, सेना की कठपुतली और करप्शन के मामलों में बुरी तरह घिर चुके पीएम इमरान के सामने ज़्यादा विकल्प नहीं बचे हैं। उन्हें PDM की आख़िरी रैली यानी दिसंबर तक सबकुछ ठीक करना होगा, जो उनके लिए पूरी तरह नामुमकिन है। क्योंकि अब विपक्ष की आख़िरी तीन रैलियों के बाद इमरान को कुर्सी छोड़नी होगी या पाकिस्तान में सबसे बड़ी बग़ावत होगी।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की विदाई का पूरा गणित
पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट नाम से 11 विपक्षी दलों के PDM गठबंधन की पहली रैली ने इमरान सरकार को हिला दिया था। दूसरी रैली में जुटी भीड़ ने बाजवा की सेना को डराया। तीसरी रैली में विपक्ष ने लाखों लोगों के सामने इमरान से राजनीतिक संन्यास पर जाने को कहा। पीडीएम की चौथी रैली 22 नवंबर को पेशावर में होगी, जिसके बाद आधे पाकिस्तान में सबसे बड़ा आंदोलन शुरू हो जाएगा। पांचवीं रैली से इमरान पर इस्तीफे का दबाव काफ़ी बढ़ जाएगा और छठी रैली जो 13 दिसंबर को होगी। उसके बाद मुमकिन है कि पाकिस्तान को नया प्रधानमंत्री मिल जाए।
पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल यूं ही नहीं हो रही है। पूर्व पीएम नवाज़ शरीफ़ लंदन से इमरान विरोधी आंदोलन में लगातार शामिल हो रहे हैं। सरकार और सेना पर सबसे करारा हमला वही कर रहे हैं। क्वेटा की रैली में भी नवाज़ शरीफ ने डिजिटल भाषण में पाकिस्तानी सेना के चीफ बाजवा और ISI प्रमुख पर निशाना साधा। उन्होंने मौजूदा राजनीतिक हालत के लिए सेना और ISI को जिम्मेदार ठहराया।
पीडीएम की कमान संभाल रहे मौलाना फ़ज़लुर्रहमान ने इमरान सरकार को सेना के हाथों की कठपुतली बताते हुए कहा कि ये जाली सरकार और जाली प्रधानमंत्री है, क्योंकि सेना और ISI के लोग सरकार में पूरा दखल रखकते हुए पाकिस्तान के संविधान की तौहीन कर रहे हैं। PDM ने इस बार पाकिस्तान को इमरान से आज़ादी दिलाने का वादा किया।
मरियम नवाज़ ने काफ़ी आक्रामक भाषण में कहा कि पाकिस्तान और ब्लूचिस्तान की किस्मत बदलने का वक्त आ गया है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि अब इमरान की सरकार जाने वाली है, जिसके बाद ब्लूचिस्तान के लोगों को गायब करने की साज़िश हमेशा के लिए बंद हो जाएगी।
पीएम इमरान पर ये इल्ज़ाम है कि जनरल बाजवा के दम पर 2018 के चुनावों में गड़बड़ी करके वो पीएम बने। बदले में बाजवा को रिटायरमेंट की उम्र के बावजूद एक्सटेंशन दे दिया। अब महंगाई और ग़रीबी पर काबू पाने में नाकाम रहे हैं। उनकी सरकार के कई मंत्री और सेना के कई बड़े अफसर भ्रष्टाचार के कई मामलों में डूबे हुए हैं, लेकिन इमरान सरकार आंदोलन करने वालों को ख़ामोश करने के लिए जेल की धमकियां दे रही है।
इमरान ख़ान आतंकवाद पर लगाम लगाने में पूरी तरह फेल हैं, जिसकी वजह से तबाह हो रहे पाकिस्तान को बचाना लगभग नामुमकिन हो रहा है। FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए तड़प रहे पाकिस्तान को ऐसा पीएम चाहिए, जो आतंकवाद से लड़ सके और सेना को मनमानी करने से रोक सके। लेकिन इमरान के लिए ये दोनों ही कर पाना लगभग असंभव है, इसलिए पीएम की कुर्सी पर संकट बढ़ता ही जा रहा है।
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