नई दिल्ली: फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुअल मैक्रॉन 'इस्लामिक आतंकवाद' संबंधी बयान के बाद मुस्लिम देशों के निशाने पर हैं। कई जगह उनके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। मैक्रॉन ने हाल ही तीखे तेवर दिखाते हुए एक इंटरव्यू में कट्टरपंथियों को लेकर कहा था- ये सब हमारे देश में नहीं चलेगा। अब मैक्रॉन ने अपने ट्वीटर पर एक लैटर साझा किया है, जो उन्होंने एक मीडिया के उनके बयान को गलत पेश करने के बाद लिखा है। उन्होंने ट्वीटर पर लिखा, एक राष्ट्राध्यक्ष के शब्दों को विकृत करके हमें अज्ञान का पोषण नहीं करना चाहिए। हम केवल अच्छी तरह से जानते हैं कि नेतृत्व कहां हो सकता है।
मैक्रॉन ने ट्वीटर पर साझा किए लैटर में कहा, मैंने कभी भी 'इस्लामिक सेपरेटिज्म' यानी इस्लामी अलगाववादी शब्द का इस्तेमाल नहीं किया। मैंने इस्लामिस्ट सेपरेटिज्म, जो आतंकियों को वैधता प्रदान करता है, उनके बारे में कहा था, जो फ्रांस की हकीकत है। मैक्रॉन ने कहा, मैं अपने देश के सामने चुनौतियों और परिस्थिति से वाकिफ कराना चाहता हूं...
मैक्रॉन ने कहा, पांच साल में फ्रांस ने 'इस्लाम के नाम पर' कई आतंकी हमले झेले हैं। इनमें 263 लोगों की जान चली गई। जिसमें टीचर, पुलिस अधिकारी, सोल्जर्स, जर्नलिस्ट, कार्टूनिस्ट और आम लोग शामिल हैं। हाल ही व्यंग्य पत्रिका 'चार्ली हेब्दो' के पुराने कार्यालय पर फिर से हमला हुआ। एक स्कूल में हिस्ट्री टीचर सेमुअल पैटी की जघन्य हत्या कर दी गई। नीस शहर में चर्च में दो महिलाओं और एक आदमी की हत्या कर दी गई।
फ्रांस में इस्लामिस्ट टेरेरिस्ट्स ने अटैक किया, क्योंकि हमारे देश ने 'अभिव्यक्ति की आजादी' की वकालत की। फ्रांस के लोग हमेशा अपने अधिकारों के लिए खड़े रहे हैं और अपनी वेल्यूज से पीछे नहीं हटे हैं। इस बीच फ्रेंच आर्मी ने भी हिम्मत का परिचय देते हुए आतंकियों पर प्रहार किया है। हर साल हमारी पुलिस और आर्मी इसकी बड़ी कीमत चुकाती रही है।
2015 से, जबसे मैंने देश की बागडोर संभाली है और उससे पहले भी, जब मैं राष्ट्रपति नहीं था, तब भी मैं यही कहता था कि फ्रांस आतंकियों की 'प्रजनन भूमि' बन रही है। कई जिलों और इंटरनेट पर, कई ग्रुप इस्लाम के कट्टरपंथी हमारे बच्चों को नफरत सिखा रहे हैं। इसलिए मैंने अपनी स्पीच में 'अलगाववादी' शब्द का इस्तेमाल किया।
मैक्रॉन ने कहा, यदि आप मेरा विश्वास नहीं करते हो, तो उन सोशल मीडिया पोस्ट को पढ़ लो, जिनमें इस्लाम के नाम पर नफरत फैलाई गई है और जिसका परिणाम हमें टीचर पैटी की मौत के रूप में देखने को मिला है। आप उन जिलों में जाइए जहां आपको तीन या चार साल की बच्चियां पूरा हिजाब पहने हुए नजर आएंगी। लड़कों से अलग, बहुत ही छोटी उम्र में, यहां तक कि उन्हें समाज से ही अलग कर दिया जाता है। यह फ्रांस के मूल्यों के प्रति घृणा है।
उन सरकारी हाकिमों से बात करिए जो इन सब चीजों का सामना करते हैं, चाकू लेकर निकलिए और लोगों को मार दीजिए— फ्रांस इसी का सामना कर रहा है। नफरत के इस स्वरूप से और बच्चों में डर की भावना को निकालने के लिए फ्रांस लड़ रहा है, ना कि इस्लाम के खिलाफ लड़ रहा है। मैक्रॉन ने कहा, हम छल, धर्मान्धता और अराजकाता का विरोध करेंगे, न कि किसी धर्म का।
हम कहते हैं, ये हमारे देश में नहीं चलेगा! और हमें यह कहने का पूर्ण अधिकार है। हम एक संप्रभु राष्ट्र और स्वतंत्र लोग हैं। वो आतंकी जो हमें अलग कर देना चाहते हैं, हम उनके खिलाफ एक हैं। मैं इस चीज की बिलकुल भी अनुमति नहीं दूंगा कि कोई कहे कि फ्रांस या उसकी सरकार मुसलमानों के खिलाफ जातिवाद को बढ़ावा देती है।
फ्रांस जिसके लिए हम पर हमला किया गया, वह धर्म निरपेक्ष है। चाहे मुस्लिम हों या फिर क्रिश्चियन, बौद्ध हों या फिर कोई और धर्म। एक राष्ट्र जो किसी दूसरे के धर्म में दखल नहीं देता और जो अपनी प्रार्थना की पूरी गारंटी देता है। फ्रांस में कानूनी एजेंसियां मस्जिदों और चर्च को सुरक्षा प्रदान करती हैं।
हमें पता है कि इस्लामिक सिविलाइजेशन ने फ्रांस को क्या दिया है। इसकी गणित, साइंस और आर्किटेक्चर, हमने इस्लाम से लिए हैं और मैंने इस महान संपदा के लिए पेरिस में एक इंस्टीट्यूट बनाने की भी घोषणा की है। फ्रांस वह देश है जहां जब भी कुछ बुरा होता है तो मुस्लिम नेता कट्टरपंथ से लड़ने के लिए अपने अनुयायियों को एकजुट करते हैं और अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा करते हैं। मैक्रॉन ने कहा, 12वीं शताब्दी में किसी ने कहा था, अज्ञान डर को बढ़ावा देता है। डर नफरत को और नफरत हिंसा को। इसलिए हम कभी भी हिंसा का पालन पोषण नहीं करेंगे।
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