नई दिल्ली: कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर इंतजार लगभग खत्म होने जा रहा है। इस बीच अमेरिका में विकसित की जा रही मॉडर्ना वैक्सीन ने इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन के लिए इजाजत मांग ली है। मॉडर्ना ने अपनी COVID19 वैक्सीन 94.1% के प्रभावी होने के बाद, U.S. FDA और यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी से इमरजेंसी यूज आथराइजेशन के लिए अनुरोध किया है।
क्या है इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन?
एक आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण (ईयूए) सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों जैसे कि वर्तमान कोविड-19 महामारी के दौरान टीके सहित चिकित्सा की उपलब्धता और उपयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए एक तंत्र है। EUA के तहत FDA किसी भी तरह के चिकित्सीय उत्पादों के उपयोग की अनुमति दे सकता है या किसी गंभीर बीमारी या जानलेवा बीमारियों के निदान, उपचार या रोकथाम के लिए किसी आपातकालीन चिकित्सा अनुमोदित उत्पाद के उपयोग की अनुमति देने या नहीं देने पर निर्णय ले सकता है।
भारत में क्या है स्थिति?
इधर, भारत में कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर हाल ही सीरम संंस्थान पुणे का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विजिट किया। सीरम संस्थान के सीईओ अदार पूनावाला ने इसके बाद बताया कि
केंद्र सरकार ने सुझाव दिया है कि वह ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और ड्रगमेकर एस्ट्राजेनेका द्वारा जुलाई तक विकसित किए जा रहे कोरोनोवायरस वैक्सीन की 300 से 400 मिलियन खुराक चाहती है। उन्होंने कहा, अभी तक हमारे पास भारत सरकार के पास लिखित में कुछ भी नहीं है कि वे कितनी खुराक खरीदेंगे, लेकिन संकेत है कि यह जुलाई 2021 तक 300-400 मिलियन यानी 30 से 40 करोड़ खुराक होगी।
पूनावाला ने कहा, हमने वैक्सीन वितरण को लागू करने पर चर्चा की। ड्रग कंट्रोलर आफ इंडिया को डेटा सब्मिट किया जाएगा, वहां से रिव्यू होने के बाद हैल्थ मिनिस्ट्री से चर्चा की जाएगी। इसके बाद जुलाई 2021 तक वैक्सीन की पहली खेप भेज दी जाएगी। लेकिन यह सब तभी होगा, जब हम पहले रिपोर्ट सब्मिट करेंगे। अगले दो से तीन हफ्ते में हम इस प्रक्रिया को चालू कर देंगे। यूके में जो रिसर्च चल रही है, उसके नतीजे भी पूरी तरह से सामने आ जाएंगे।
उन्होंने कहा, हमने कई वैक्सीन पर चर्चा की। इसमें प्राइस, स्टोरेज और वितरण संबंधी कई मुद्दों पर बातचीत हुई। हालांकि अभी तक हमारे पास कोई विशेष डेटा नहीं है कि कितनी डोजेज सरकार को दी जाएंगी, लेकिन संकेत हैं कि जुलाई 2021 तक 30 से 40 करोड़ खुराक सरकार लेना चाहती है। इसकी चर्चा पहले भी हैल्थ मिनिस्ट्री की ओर से की जा चुकी है। पूनावाला ने कहा, हम आपका विजन साझा करते हैं। एक सुरक्षित भारत सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना जारी रखेंगे।
क्या यह वैक्सीन भारत और लंदन में एक साथ वितरित की जाएगी?
इस सवाल के जवाब में पूनावाला ने कहा, यह भारत में पहले वितरित होगी। यूरोपियन मार्केट में आक्सफोर्ड और एस्ट्रेजेनेका की वैक्सीन भेजी जाएगी। यदि उन्हें वैक्सीन मेन्यूफेक्चरिंग में हमारी जरूरत होगी, तो हम उन्हें जरूर मदद करेंगे, लेकिन हमारी प्राथमिकता निश्चित तौर पर भारत और उन देशों की होगी, जहां कोवैक्स वैक्सीन जानी है। पूनावाला ने कहा, हम कोडोजेनिक वैक्सीन के लिए दिसंबर में यूके में ट्रायल शुरू करने जा रहे हैं। इसके बाद एक साल लाइसेंसिंग में लगेगा।
कोविशील्ड और कोवावैक्स वैक्सीन के कोल्डचेन सेटअप को लेकर तैयारियों के बारे में पूनावाला ने कहा, दोनों वैक्सीन प्लस 2 से 8 डिग्री टेम्प्रेचर में स्टोर की जा सकती हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि भारत में वैक्सीन को स्टोरेज के लिए काफी इंफ्रास्ट्रक्चर है। इन वैक्सीन को माइनस 20 और 17 से कम टेम्प्रेचर की जरूरत नहीं होगी। जब एडल्ट पर इसे सुरक्षित मान लिया जाएगा, तब भविष्य में हम इसका ट्रायल अंडर 18 एज ग्रुप के लिए करेंगे।
सीरम इंस्टीट्यूट ने कितनी डोज तैयार कर ली हैं?
पूनावाला ने कहा, हम हर महीने 50 से 60 मिलियन डोज तैयार कर रहे हैं। जनवरी फरवरी के बाद इसे 100 मिलियन तक कर लिया जाएगा। हम किसी भी तरह की डिले की उम्मीद नहीं कर रहे हैं।
कोविशील्ड वैक्सीन के बेनेफिट के बारे में बताइए?
पूनावाला: यह काफी अच्छी है। वैक्सीन के नतीजों में सामने आया है कि यह लगने के बाद अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह पहली डोज के बाद 60 प्रतिशत तक वायरस की संभावना को खत्म कर देगी।
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