नई दिल्ली: चीनी पटाखों के साथ चीन के उत्पादों के बायकॉट से चीन बुरी तरह बौखला गया है। दिवाली नजदीक है और देश के कई हिस्सों में इस बार चीनी उत्पादों का बहिष्कार कर घरेलू सामान खरीदने को बढ़ावा दिया जा रहा है। चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने इसे लेकर एक आर्टिकल पब्लिश किया है, जिसमें उसकी बौखलाहट साफ नजर आ रही है।
आर्टिकल का शीर्षक है- क्या गाय के गोबर से बने दीयों से भारत में मनेगी ज्यादा अच्छी दिवाली? अखबार ने लिखा, भारत -चीन के संबंध इस साल बुरे दौर से गुजर रहे हैं और इस बात को आसानी से समझा जा सकता है कि हर बार की तुलना में इस बार चीन के सामान का ज्यादा बड़े पैमाने पर बहिष्कार हो रहा है। इससे चीनी कारोबारियों से ज्यादा भारतीयों को ही नुकसान होगा। इससे गरीब भारतीयों के लिए दिवाली मनाना मुश्किल हो जाएगा।
अखबार ने कुछ रिपोर्ट्स का भी जिक्र करते हुए कहा है कि इस दिवाली सीजन में जयपुर के व्यापारियों की ओर से चीनी लाइट्स और साजो-सामान की वस्तुएं नहीं बेचने का फैसला लिया गया है। साथ ही भारतीय उपभोक्ता भी भारत में बने सामान पर ज्यादा पैसा खर्च करने के लिए भी तैयार हैं। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, "कुछ भारतीय अखबारों ने ये भी दावा किया है कि चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने से चीन को करीब 400 अरब रुपये तक का नुकसान हो सकता है। ये सोच दिखाती है कि चीन के निर्यात की ताकत को लेकर भारतीयों की समझ कितनी कम है।
भारत में दिवाली एक प्रमुख त्योहार है लेकिन चीन के छोटी वस्तुओं के निर्यात में भारत की हिस्सेदारी बहुत कम है। चीन का झेजियांग प्रांत दुनिया का स्मॉल कमोडिटी का सबसे बड़ा हब है और क्रिसमस की तुलना में दिवाली में व्यापार का स्तर कुछ भी नहीं है।
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, महामारी और चीन-भारत के संघर्ष के बाद कई चीनी कंपनियों ने नुकसान से बचने के लिए घरेलू बाजार और पड़ोसी देशों में अपना कारोबार शिफ्ट कर लिया था। जो कंपनियां भारत में कारोबार कर रही हैं, उन्होंने भी किसी भी तरह के जोखिम से बचने के लिए कई कदम उठाए हैं। भारत की व्यापार नीति या टैरिफ की वजह से कई कंपनियों ने एडवांस पेमेंट लिया है। इन सारे कारणों की वजह से इस साल की दिवाली पर चीन के उत्पाद कम देखने को मिलेंगे और भारतीय उपभोक्ता भी धीरे-धीरे इसके असर को महसूस करेंगे।
इस आर्टिकल में लिखा गया है, कुछ लोग भारत में बने हुए सामान के लिए ज्यादा पैसा देने के लिए खुशी-खुशी तैयार हो सकते हैं ताकि देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को सपोर्ट मिले। हालांकि, कई उपभोक्ता इस स्थिति में नहीं होंगे और उन्हें खराब लाइट्स से ही काम चलाना पड़ेगा। चीन के आधुनिक उत्पादों के बहिष्कार की कीमत के तौर पर कई भारतीयों को पुराने जमाने के दीयों से ही काम चलाना होगा।
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