नई दिल्ली : दुनिया भर में चीन में सबसे ज्यादा बुजुर्ग हैं और इनकी संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। हिलाजा जिनपिंग सरकार को इनकी चिंता सता रही है और ये उनके लिए बोझ बनते जा रहे हैं। इन दिनों के चीन के सामने इससे बड़ी चुनौती अपनी बूढ़ी होती आबादी के बोझ की है जो उसकी आर्थिक तरक्की में एक बड़ा रोड़ा साबित हो रहा है।
एक आंकड़े मुताबिक 2030 के बाद चीन में 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की संख्या एक करोड़ 12 लाख के करीब होगी और वर्ष 2050 के बाद इस उम्र वालों की संख्या 40 करोड़ से अधिक होगी जो कि चीन की कुल आबादी का एक तिहाई होगी। यह संख्या इतनी बड़ी होगी कि हर परिवार का एक सदस्य 65 वर्ष या इससे ज्यादा उम्र का होगा। साथ ही बुजुर्गों की यह संख्या ओ.ई.सी.डी. देशों में रहने वाले बुजुर्गों से भी अधिक होगी और विकसित राष्ट्रों में बुजुर्गों की संख्या की दोगुनी होगी।
चीन में बुजुर्गों (60-80 वर्ष) की संख्या से धीरे-धीरे (80 -ऊपर) वर्ष की संख्या में बढ़ती जाएगी, वहीं 60-80 वर्ष के लोगों की संख्या में थोड़ी कमी आएगी, वहीं वर्ष 2050 में चीन में 80 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की संख्या 14.4 करोड़ होगी। बुजुर्गों की यह संख्या पूरे यूरोप और उत्तरी अमरीका में रहने वाले बुजुर्गों से कहीं अधिक होगी।
चीन में युवा कामगारों पर बुजुर्गों की निर्भरता का अनुपात वर्ष 2050 में 73 होगा यानी हर 100 कामगार व्यक्तियों पर 73 बूढ़े लोगों की जिम्मेदारी होगी। इसके अलावा 22 बच्चों और 51 ऐसे बुजुर्गों की जिम्मेदारी होगी जिनकी उम्र 65 वर्ष से अधिक है। वर्ष 2050 में चीन में युवाओं पर बुजुर्गों की निर्भरता वर्ष 2018 में 41 फीसदी के अनुपात में 32 फीसदी अधिक होगी।
वर्ष 2030 में चीनियों पर बच्चों से ज्यादा जिम्मेदारी बूढ़े लोगों की होगी। यानी कामगारों और युवा चीनियों पर बूढ़े लोगों की जिम्मेदारी बढ़ती जाएगी। वर्ष 2050 तक युवा चीनियों पर बूढ़े लोगों का बोझ 49.9 फीसदी होगा। वर्ष 1982 में एक बच्चा की नीति पर चीन ने सख्ती दिखानी शुरू कर दी जिसका असर यह हुआ कि एक परिवार का आकार 4.4 से घटकर वर्ष 2015 में 2.89 रह गया, इसके अलावा अगले 30 वर्ष तक चीन में परिवार का औसत आकार 2.51 ही रहेगा, और इसका सबसे बुरा असर ग्रामीण अंचलों में देखने को मिलेगा।
यही वजह है कि चीन ने अपनी बुढ़ापे वाली चिंता से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है। चीन सरकार ने बेसहारा बुजुर्गों की सुरक्षा और वृद्धाश्रम बनाने के लिए कड़े कानून और नीतियां बनाई हैं। इन कानूनों के मुताबिक अब संतान की जिम्मेदारी है कि वो अपने बुजुर्ग मां-बाप की जरूरतों का ख्याल रखें ताकि वो एक खुशहाल जिंदगी बिता पाएं। हालांकि, चीन में बुजुर्गों के हितों की रक्षा करने वाला कानून है, जो 1 मई, 2016 से लागू हुआ था। इस कानून के मुताबिक अगर बच्चे अपने बुजुर्ग माता पिता से मिलने के लिए नियमित तौर पर उनके पास नहीं जाते तो बुजुर्ग माता पिता बच्चों पर केस कर सकते हैं।
अगर फिर भी बच्चों का बर्ताव बूढ़े मां बाप के प्रति नहीं बदलता है तो इसे संतान की क्रेडिट रिपोर्ट में जोड़ दिया जाएगा। यानी बूढ़े मां बाप का ख्याल ना रखने वाले बच्चों को लोन लेने, वित्तीय सुविधाएं हासिल करने और भविष्य की कई योजनाओं को पूरा करने में परेशानी हो सकती है। क्योंकि क्रेडिट रिपोर्ट खराब होने पर बैंक आसानी से कर्ज नहीं देंगे। बुजुर्गों की देखरेख कर रहे नसिर्ंग होम नियमित तौर पर बच्चों को याद दिलाएंगे कि नसिर्ंग होम आकर मां बाप से मिलने का वक्त हो गया है। चीन के कई बड़े शहर जैसे बीजिंग, शांगहाई आदि में बुजुर्गों को आसानी से कानूनी सेवाएं दिलवाने की दिशा में भी तेजी से काम किया जा रहा है।
हाल ही में चीन सरकार ने बुजुर्गों को सेहतमंद रहने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जो बुजुर्गों में स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी ज्ञान को लोकप्रिय बनाने और उनके जीवन को अधिक सुखमय बनाने में सहायक हो सके। वैसे तो चीनी बुजुर्ग अपनी सेहत को दुरुस्त रखने में सबसे आगे रहते हैं, लेकिन वे बीमारियों विशेषकर पुरानी बीमारियों का शिकार हो जाते हैं।
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