नई दिल्ली: अमेरिका के सर्वोच्च पद पर पहुंचने से पहले जो बिडेन की जिंदगी काफी मुश्किलों भरी रही। इससे पहले उन्होंने डेमोक्रेट पार्टी की तरफ से दो बार उम्मीदवारी का दावा पेश किया, लेकिन समर्थन नहीं जुटा पाए। हालांकि बाइडेन को अपनी मेहनत पर पूरा भरोसा था, शायद तभी तो 1966 में ही उन्होंने खुद के राष्ट्रपति बनने की भविष्यवाणी कर दी थी।
बिडेन ने पहली बार 1987 और दूसरी बार 2008 में डेमोक्रेट पार्टी की तरफ से उम्मीदवारी का दावा पेश किया, लेकिन दोनों बार ही नाकाम रहे। भले ही बिडेन उस वक्त अपने लिए समर्थन नहीं जुटा पाए, लेकिन उन्होंने 1966 में ही दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क का बिग बॉस बनने की भविष्यवाणी कर दी थी। अपनी भविष्यवाणी को सच साबित करने के लिए बिडेन ने शून्य से शिखर तक का सफर तय किया।
ओबामा के 'शेर' बाइडेन!
बिडेन अमेरिका के दो बार वाइस प्रेसिडेंट बने। उस वक्त बराक ओबामा ने उन्हें अमेरिकी इतिहास का सबसे शानदार उपराष्ट्रपति बताया था। बराक ओबामा ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में बिडेन को प्रेसिडेंट मेडल ऑफ फ्रीडम से नवाजा था। उस वक्त ओबामा ने कहा, 'बिडेन अमेरिकी इतिहास के बेस्ट वाइस प्रेसिडेंट और शेर हैं। मुझे कभी उनकी समझ और क्षमता पर शक नहीं रहा।'
ओबामा के इन शब्दों को सुनकर बिडेन की आंखें नम हो गई थीं।
मुश्किलों में बीता बचपन
बिडेन का बचपन फिलाडेल्फिया के सेरेन्टन में बीता। बाद में उनका परिवार डेलावेयर के विलमिंग्टन में शिफ्ट हो गया। आज भी बिडेन यहीं रहते हैं। बिडेन जब 10 के साल के थे तब वो उच्चारण संबंधी बीमारी से पीड़ित थे। उस वक्त वो अपना सरनेम भी ठीक से बोल नहीं पाते थे, जिसकी वजह से उनके दोस्त उनका मजाक उड़ाते थे और उन्हें बाय-बाय कहकर बुलाते थे।
फुटबॉल में जिंदगी का मंत्र!
स्कूली दिनों में जो बिडेन फुटबॉल के अच्छे खिलाड़ी थे और उन्होंने फुटबॉल के खेल से काफी कुछ सीखा। फुटबॉल को लेकर एक बार उन्होंने कहा था कि सच कहूं तो फुटबॉल ने मुझे मुश्किलों से लड़ना सिखाया। मैदान में गोल करने के लिए गेंद को हासिल करने की मशक्कत ये सीखने के लिए काफी थी कि जिंदगी के गोल तक पहुंचने के लिए गोलपोस्ट तक पहुंचना जरूरी है।
अधूरी रही जंग लड़ने की इच्छा
बिडेन ने सायराकस यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री ली है। कॉलेज के दौरान अमेरिका और वियतनाम की जंग छिड़ी हुई थी। बिडेन का नाम वियतनाम के खिलाफ जंग में बतौर फौजी ड्राफ्ट में शामिल किया गया था, लेकिन अस्थमा की बीमारी के चलते उन्हें जंग के मौदान में देश की सेवा का मौका नहीं मिला।
मुश्किलों ने लड़ना सिखाया
1972 का साल बिडेन की जिंदगी का सबसे मुश्किलों भरा साल रहा। उस वक्त पत्नी नेलिया और बेटी नाओमी की कार एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। बिडेन की जिंदगी में परेशानी यहां पर भी खत्म नहीं हुई, 2015 में उनके बेटे बो का भी ब्रेन कैंसर की वजह से निधन हो गया।
सिद्धांतों ने शिखर तक पहुंचाया!
बिडेन सिद्धातों को अपनी जिंदगी में सबसे ज्यादा अहमियत देते हैं। 2008 में एक इंटरव्यू में बिडेन ने फिल्म चेरियेट्स ऑफ फायर को अपनी पसंदीदा फिल्म बताया था। उस वक्त उन्होंने कहा था कि मुझे लगता है कि रियल लाइफ बेस्ड फिल्म चेरियेट्स ऑफ फायर मुझे एक नया रास्ता दिखाती है। जिंदगी में कुछ मौके ऐसे आते हैं, जब निजी हितों और लोकप्रियता को सिद्धांतों के सामने झुकना पड़ता है। मैं भी सिद्धांतों को बाकी चीजों से ऊपर रखता हूं।
आईसक्रीम के शौकीन
जो बिडेन को आईसक्रीम बहुत पसंद है। एक बार उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा था कि मेरा नाम जो बिडेन है, मेरे बारे में दो चीजें अच्छे से जान लीजिए। मैं आईसक्रीम बहुत पसंद करता हूं, शराब और स्मोकिंग से दूर रहता हूं।
पहली पत्नी की मौत के बाद 1972 में जो बिडेन ने 1977 में दूसरी शादी जिल ट्रेसी जैकब्स से की। जिल प्रोफेसर हैं और भी नौकरी करती हैं। 1975 में बिडेन की जिल के साथ पहली मुलाकात हुई थी। शादी से पहले उन्होंने जिल को 5 बार प्रपोज किया था। 2020 में जब बिडेन डेमोक्रेट पार्टी की तरफ से प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट बने तो उस वक्त उन्होंने अपनी पत्नी की खूब तारीफ थी कि उन्होंने कहा कि मेरी पत्नी मुझे भरोसा दिलाती हैं, राह दिखाती हैं और वो ही मेरी शिक्षक भी हैं।
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