नई दिल्ली: अर्मेनिया और अजरबैजान में भीषण युद्ध (armenia azerbaijan war) चल रहा है। इस युद्ध में 10 हजार से ज्यादा सैनिकों और आम लोगों की जान जा चुकी है। दोनों देशों की सीमाओं में आग के गोले बरस रहे हैं। इस बीच अर्मेनिया ने अजरबैजान से युद्ध लड़ने के लिए ग्रीस से भाड़े के लड़ाके मंगाए हैं। अर्मेनिया के एक बड़े अधिकारी ने अनादोलु एजेंसी से कहा, अर्मेनिया ग्रीस से अर्मेनियाई मूल के भाड़े के लड़ाकों को अजरबैजान के कब्जे वाले क्षेत्रों में लड़ने के लिए लाएगा।
वहीं, अज़रबैजान के विदेश नीति प्रमुख के सहायक हिकमत हाजीयेव ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि कुछ पश्चिमी देशों के अर्मेनियाई मूल के लोग अजरबैजान के लड़ाकों और भाड़े के सैनिकों के रूप में लड़ने आएंगे। उन्होंने कहा, हम अजरबैजान के खिलाफ इस तरह के उकसावों से दूर रहने और उपाय करने के लिए उन देशों से कहना चाहते हैं कि वे इससे दूर रहें। यदि उनके देश में रह रहे सैनिक भाड़े पर अर्मेनिया की ओर से सैन्य अभियानों में भाग लेते हैं, तो इन देशों के नागरिकों को टार्गेट बनाया जाएगा।
हाजीयेव ने अर्मेनियाई बलों के स्थानों में काम करने वाले विदेशी पत्रकारों को भी बुलाया है, यह कहते हुए कि वे अवैध रूप से कब्जे वाले क्षेत्रों में रह रहे हैं। उनका कहना है कि अर्मेनिया ने जानबूझकर विदेशी पत्रकारों को इन गहन संघर्ष के इन में बुलाया है। हाजीयेव ने कहा कि येरेवन प्रशासन उनकी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होगा।
सीमावर्ती संघर्ष 27 सितंबर को शुरू हुआ जब अर्मेनियाई सेना ने अजरबैजान के नागरिक बस्तियों और सैन्य चौकियों को निशाना बनाया। अजरबैजान की संसद ने अपने कुछ शहरों और क्षेत्रों में अर्मेनिया की सीमा उल्लंघन और कब्जे वाले ऊपरी करबख, जो कि नागोर्नो-करबाख (Nagorno-Karabakh) क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है, के बाद युद्ध की स्थिति घोषित की है।
इसलिए छिड़ा है दोनों देशों के बीच युद्ध
यह युद्ध नागोर्नो-करबख नामक एक पहाड़ी क्षेत्र पर चल रहा है। अजरबैजान का दावा है कि यह क्षेत्र उसका है, जबकि आर्मेनिया इस पर अपना अधिकार जमाता है। हालांकि 1992 के युद्ध के बाद से इस क्षेत्र पर आर्मेनिया का कब्जा है। ऐतिहासिक रूप से, इस क्षेत्र में अलगाववादी संगठनों का वर्चस्व रहा है। इसके कारण कई दशकों के जातीय संघर्ष हुए हैं। दोनों देशों के बीच यह विवाद कई दशकों पुराना है। 1980 के दशक से 1992 तक दोनों देशों के बीच इस क्षेत्र को लेकर युद्ध हुआ। उस दौरान 30 हजार से अधिक लोग मारे गए थे और दस लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए थे। इस युद्ध में तुर्की अजरबैजान के समर्थन में है, जबकि रूस ने दोनों देशों के साथ व्यापार संबंधों को समाप्त करने की बात कही है।
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