नई दिल्ली: तुर्की के तानाशाह एर्दोगान ने दावा किया है कि आर्मीनिया और अजरबैजान के युद्ध में लीबिया और सीरिया से एक भी आतंकी नहीं भेजा गया। एर्दोगान ने आतंकियों को 1800 डॉलर की सैलरी देने से भी इंकार कर दिया, लेकिन सीरिया से ही आई रिपोर्ट ने तुर्क तुगलक का झूठ बेपर्दा कर दिया।
सीरियन ऑब्जर्वेटरी ऑफ़ ह्यूमन राइट्स की नई रिपोर्ट के मुताबिक, इस युद्ध में 1450 आतंकी शामिल हुए है। जिसमें से अभी तक 119 आतंकियों की मौत हो गई है और 78 आतंकियों के शव वापस सीरिया भेजे गए। युद्ध में मारे गए आतंकियों की लाशें तक लौटकर सीरिया जा रही हैं, लेकिन एर्दोगान दुनिया को मूर्ख समझ रह हैं।
तुर्की ने 4000 आतंकियों को भेजा अरजबैजान
तुर्की ने 4,000 सीरियाई ISIS आतंकियों को आफरीन से नागोर्नो कराबाख के आर्मेनियाई लोगों के खिलाफ लड़ने के लिए भेजा है। कुछ दिनों पहले यह काफिले तुर्की और फिर अज़रबैजान हवाई मार्ग से पहुंचे। तीन महीने की अवधि के लिए इनको वेतन के रूप में 1,800 अमेरिकी डॉलर दिए गए हैं।
सीरियाई आतंकवादी समूह के एक नेता ने कहा, "27 सितंबर से अल्लाह के लिए धन्यवाद, महीने के अंत तक और 1000 सीरियाई लड़ाकों को अज़रबैजान में ट्रांसफर कर दिया जाएगा"। सूत्रों ने सुल्तान मूरत ब्रिगेड (सीरियाई विपक्ष का एक सशस्त्र गुट, जो लीबिया में भाड़े के सैनिकों को भेजा जाता है) के ऑपरेशनल न्यूक्लियस की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध कराई।
मिली जानकारी के अनुसार, इन लड़ाकों में से कई लोगों ने असद से लड़ने के लिए हथियार उठाए थे, लेकिन अब जीवित रहने की आवश्यकता में वह घर से बहुत दूर किसी और की लड़ाई लड़ रहे हैं। यह लड़ाके सस्ते नहीं हैं और औसत तुर्की सैनिक की तुलना में काफी अधिक कमाते हैं। लेकिन राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन की राजनीतिक लड़ाई में अपने सैनिकों को भेजने से काफी कम है।
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