नई दिल्ली: अर्मेनिया और अजरबैजान में भीषण युद्ध (Armenia azerbaijan war) जारी है। इस संघर्ष में अब तक 10 हजार से ज्यादा सैनिकों और आम लोगों की जान जा चुकी है। अर्मेनिया ने नागोर्नो-कराबाख (Nagorno-Karabakh) के अलगाववादी क्षेत्र पर जारी युद्ध के बीच अज़रबैजान के दूसरे बड़े शहर पर मिसाइलों से अंधाधुन हमला कर दिया। अज़रबैजान के अधिकारियों ने कहा कि अर्मेनियाई बलों ने देश के दूसरे सबसे बड़े शहर गांजा पर हमला किया। इसके बाद बाजारों में कोहराम मच गया। इस हमले में एक नागरिक की मौत हो गई और कई लोगों के घायल होने की खबर है।
अज़रबैजान के राष्ट्रपति हिकमत हाजीयेव ने ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा, अर्मेनियाई सशस्त्र बलों ने गांजा के केंद्रीय बाजार पर हमला किया। बाजार का कोई सैन्य महत्व कैसे हो सकता है? यह अंधाधुंध मिसाइल हमला नागरिकों के बीच बड़े पैमाने पर हताहत करने के एकमात्र उद्देश्य से किया गया।
गांजा में हुए इस हमले को अजरबैजान की ओर से अर्मेनिया के घने आवासीय क्षेत्रों के खिलाफ बड़े पैमाने पर मिसाइल हमलों का नतीजा कहा जा रहा है। हालांकि अर्मेनिया रक्षा मंत्रालय ने कहा कि अजरबैजान के क्षेत्र में अर्मेनिया के इलाके से किसी भी तरह की कोई भी आग नहीं लगी है, लेकिन नागोर्नो-काराबाख के नेता अराईक हरुतुयन ने फेसबुक पर पुष्टि की कि उसने गांजा में सैन्य वस्तुओं को बेअसर करने के लिए रॉकेट हमले का आदेश दिया था।
उनके प्रवक्ता, वहरम पघोसियन ने कहा, क्षेत्र की सेना ने गांजा में एक सैन्य हवाई अड्डे को नष्ट कर दिया। शहर पर हमले में एक नागरिक की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए, अज़रबैजान के विदेश मंत्रालय ने ट्वीट किया। उन्होंने अपनी सेनाओं को आदेश दिया कि वे नागरिक हताहतों से बचने के लिए गांजा पर हमलों को रोकें।
भाड़े के लड़ाके मंगाए
इस बीच अर्मेनिया ने अजरबैजान से युद्ध लड़ने के लिए ग्रीस से भाड़े के लड़ाके मंगाए हैं। अर्मेनिया के एक बड़े अधिकारी ने अनादोलु एजेंसी से कहा, अर्मेनिया ग्रीस से अर्मेनियाई मूल के भाड़े के लड़ाकों को अजरबैजान के कब्जे वाले क्षेत्रों में लड़ने के लिए लाएगा।
इसलिए चल रहा है युद्ध
यह युद्ध नागोर्नो-करबख नामक एक पहाड़ी क्षेत्र पर चल रहा है। अजरबैजान का दावा है कि यह क्षेत्र उसका है, जबकि आर्मेनिया इस पर अपना अधिकार जमाता है। हालांकि 1992 के युद्ध के बाद से इस क्षेत्र पर आर्मेनिया का कब्जा है। ऐतिहासिक रूप से, इस क्षेत्र में अलगाववादी संगठनों का वर्चस्व रहा है। इसके कारण कई दशकों के जातीय संघर्ष हुए हैं। दोनों देशों के बीच यह विवाद कई दशकों पुराना है। 1980 के दशक से 1992 तक दोनों देशों के बीच इस क्षेत्र को लेकर युद्ध हुआ। उस दौरान 30 हजार से अधिक लोग मारे गए थे और दस लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए थे। इस युद्ध में तुर्की अजरबैजान के समर्थन में है, जबकि रूस ने दोनों देशों के साथ व्यापार संबंधों को समाप्त करने की बात कही है।
Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.