नई दिल्ली: अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच चल रहे युद्ध (Armenia Azarbaijan War) को रोकने के लिए बातचीत शुरू हो चुकी है। अजरबैजान और अर्मेनिया के बीच मॉस्को में बातचीत शुरू हुई है। इस बीच अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने कहा कि नागोर्नो-काराबाख पर लड़ाई के बीच शांति बनाए रखने के लिए यह अर्मेनिया का "आखिरी मौका" है। अलीयेव ने एक टेलिविजन चैनल पर संबोधित करते हुए कहा, हम आर्मेनिया को शांतिपूर्ण तरीके से संघर्ष को निपटाने का मौका दे रहे हैं। यह उनका अंतिम मौका है।
राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने कहा, इस मुद्दे को सुलझाने की दिशा में एकमात्र रास्ता हमारे क्षेत्रों की मुक्ति है। हम युद्ध में जीत रहे हैं। हम अपनी जमीन वापस हासिल करेंगे और अपनी क्षेत्रीय अखंडता को बहाल करेंगे। इस बीच, तुर्की ने कहा कि यदि अर्मेनियाई सेना की वापसी नहीं हुई तो शांति के प्रयास विफल हो जाएंगे। तुर्की के प्रधानमंत्री ने कहा, वे केवल युद्ध विराम के लिए बुला रहे हैं, यदि वे केवल युद्ध विराम की दिशा में काम कर रहे हैं, तो यह पिछले 30 वर्षों या उसके बाद जो हुआ उसको दोहराने से ज्यादा कुछ नहीं होगा।
तुर्की के राष्ट्रपति के प्रवक्ता इब्राहिम कालिन ने कहा, इस बातचीत का विफल होना लगभग निश्चित है अगर यह कब्जे को समाप्त करने के लिए एक विस्तृत योजना शामिल नहीं करता है। रूस, फ्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका जो मिन्स्क समूह का हिस्सा हैं, मास्को में दो युद्धरत राष्ट्रों के बीच शांति के लिए प्रयास कर रहे हैं।
तुर्की के रक्षा मंत्री हुलसी अकार ने पहले कहा था, जब तक कब्जा खत्म नहीं हो जाता और जब तक कि आतंकवादियों और भाड़े के सैनिकों को वहां से नहीं निकाला जाता है, तब तक किसी को भी अपने भाइयों को रोकने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। दिन ब दिन बढ़ते युद्ध के बीच, संयुक्त राष्ट्र के अधिकार प्रमुख मिशेल बाचेलेट ने नागरिकों पर प्रभाव के कारण तत्काल संघर्ष विराम का आह्वान किया है।
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