नई दिल्ली: हाल ही खबर आई थी कि इंडोनेशिया के एक शख्स के घर में उल्का पिंड गिरा। इस उल्का पिंड को बेचकर वह रातोंरात करोड़पति बन गया। हालांकि ताबूत बनाने वाले जिस शख्स के घर में वह उल्का पिंड गिरा, अब उसका कहना है कि उसके साथ धोखा हो गया। इंडोनेशिया के नॉर्थ सुमात्रा में रहने वाले जोशुआ हुतागलंग का कहना है कि उसे उल्का पिंड के बदले 13 करोड़ रुपए की जगह महज 10 लाख रुपए ही दिए गए, जबकि उसकी कीमत कहीं ज्यादा थी। जोशुआ ने कहा कि उसके साथ धोखा हुआ है, क्योंकि अमेरिका के अंतरिक्ष विशेषज्ञ जारेड कॉलिन्स ने उससे वो उल्का पिंड बेहद सस्ती कीमत पर खरीद लिया, जबकि उसकी कीमत कहीं ज्यादा थी।
खबर के मुताबिक, जोशुआ हुतागलंग ने बताया कि उल्का पिंड के बदले में उसके करोड़पति बनने की जो खबरें, विदेशी मीडिया में चल रही हैं, वह पूरी तरह से सही नहीं हैं। जोशुआ ने कहा, उस उल्का पिंड के बदले में मुझे जो 200 मिलियन रुपिया (करीब 10 लाख रुपए) ही मिले। जबकि कहा जा रहा था कि मुझे 13 करोड़ रुपए मिलेंगे।
मुझे मिली सारी रकम अपने गांव में एक चर्च बनाने और विकलांगों व अपने परिवार की मदद के लिए खर्च कर दी है। मैं ऐसा महसूस कर रहा हूं कि मेरे साथ धोखा हुआ है, क्योंकि वो उल्का पिंड कहीं ज्यादा कीमत का था और मुझे ये सब विदेशी मीडिया की खबरों से पता चला।'
जोशुआ ने अपने फेसबुक पर उल्का पिंड की तस्वीरों के साथ इस घटना को शेयर किया और देखते ही देखते उनकी पोस्ट वायरल हो गई। करीब दो हफ्ते बाद अमेरिका के अंतरिक्ष विशेषज्ञ जारेड कॉलिन्स जोशुआ को खोजते हुए उनके घर पहुंचे और उस उल्का पिंड को खरीद लिया। जोशुआ के मुताबिक, इसके बाद जब उन्हें पता चला कि उस उल्कापिंड की वास्तविक कीमत करीब 26 बिलियन रुपिया (13 करोड़ रुपए) है, तो वो चौंक गए। जोशुआ ने कहा, 'अगर यह बात सच है तो मुझसे झूठ बोला गया है और मैं इस बात से काफी निराश हूं।
जोशुआ के घर में जो उल्का पिंड आकर गिरा, विशेषज्ञों के मुताबिक वो तकरीबन 4.5 अरब साल पुराना है। इस उल्कापिंड को अभी तक मिले उल्का पिंडों में सबसे ज्यादा अहम मान जा रहा है और वैज्ञानिकों को विश्वास है कि इसके जरिए उन्हें अंतरिक्ष की कई अहम जानकारियां मिल सकती हैं। इस पिंड को फिलहाल अमेरिका में एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के अंदर लिक्विड नाइट्रोडन में स्टोर किया गया है।
जोशुआ के घर में मिले इस उल्का पिंड की पहचान CM1/2 कार्बोनेसियस चोंडराईट के रूप में की गई है, जो काफी दुर्लभ है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस उल्का पिंड में एक अलग अमीनो एसिड और अन्य मौलिक तत्व मौजूद हैं, जो जीवन की उपत्ति के लिए आवश्यक हैं।
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