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नई दिल्ली: यूपी के चुनावी रण में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कैराना से डोर टू डोर कैंपेन की शुरुआत की। संपर्क अभियान के दौरान अमित शाह ने घर-घर पहुंचकर लोगों के बीच बीजेपी का पर्चा बांटा।
स्थानीय लोगों ने खराब मौसम और बूंदा बांदी के बीच अपने घर पहुंचे अमित शाह पर फूल बरसाए और बीजेपी के पक्ष में नारेबाजी की।
2017 की तरह 2022 विधानसभा चुनाव में बीजेपी कैराना मुद्दे को एक बार फिर भुनाना चाहती है, जिसके लिए बीजेपी ने अपनी रणीनीति भी बना ली है। कैराना से बीजेपी ने इस बार दिवंगत सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को चुना है।
2017 में नाहिद ने मृगांका को दी थी मात
मुनव्वर हसन के बेटे नाहिद ने 2017 के राज्य चुनावों में हुकुम सिंह की बेटी मृगांका को हराया था। फिर, मुनव्वर हसन की विधवा तबस्सुम हसन ने 2018 के लोकसभा उपचुनावों में मृगांका पर जीत हासिल की।
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के कैराना से अपने घर-घर जाकर प्रचार का सीधा प्रसारण ट्वीट किया। शाह ने ट्वीट किया, "कैराना (पश्चिम उत्तर प्रदेश) में भाजपा के घर-घर जाकर प्रचार अभियान के तहत लोगों से बातचीत..." शाह 'जय श्री राम' के नारों के बीच भीड़ को पर्चे बांटते हुए दिखाई दे रहे हैं।
कैराना के बाद अमित शाह शामली में बागपत और शामली जिले के कार्यकर्ताओं के साथ संवाद करेंगे। फिर मेरठ में विशिष्ट लोगों की बैठक को संबोधित करेंगे।
कैराना क्यों है खास:
यह निर्वाचन क्षेत्र 2017 के विधानसभा चुनाव में तब सुर्खियों में आया था जब कैराना के तत्कालीन भाजपा सांसद हुकुम सिंह ने जून 2016 में दावा किया था कि लगभग 350 हिंदू परिवारों ने एक विशेष समुदाय के अपराधियों द्वारा धमकी और जबरन वसूली पर शहर छोड़ दिया था।
कैराना पुलिस ने कहा था कि हिंदू परिवारों का पलायन अन्य कारणों से हुआ है, जिसमें अन्य क्षेत्रों में बेहतर व्यवसाय के अवसर और नौकरी की संभावनाएं शामिल हैं। तब केंद्रीय राज्य मंत्री (गृह) हंसराज अहीर ने भी संसद को बताया था कि पश्चिम यूपी में ऐसा कोई मुद्दा नहीं है। 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान पश्चिम यूपी में कैराना-शामली क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ था।
कैराना से नाहिद की बहन ने भरा पर्चा
कैराना में समाजवादी पार्टी से उम्मीदवार नाहिद हसन की गिरफ्तारी के बाद उनकी बहन इकरा हसन ने पर्चा दाखिल किया है। इकरा ने एक पर्चा समाजवादी पार्टी के सिंबल के साथ तो वहीं दूसरा निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर भरा है। इकरा ने एहतियात के तौर पर नामांकन दाखिल किया है. ताकी अगर किसी सूरत में नाहिद का नामांकन निरस्त होता है या वो नहीं लड़ पाते तो उनकी जगह इकरा सपा प्रत्याशी होंगी।
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