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नई दिल्ली: वाराणसी में मंदिर-मस्जिद विवाद के बीच ताज पर भी तकरार तेज हो गई है। आगरा में ताजमहल के बंद कमरों को खुलवाने की याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में आज सुनवाई होगी। बीजेपी के अयोध्या मीडिया प्रभारी डॉ. रजनीश सिंह ने कोर्ट में याचिका दायर की है कि ताजमहल के 22 कमरों को खोला जाए। जिससे ताजमहल के 22 कमरों में बंद राज दुनिया के सामने आ सके। पिछले दिनों अयोध्या के संत परमहंस ताजमहल में प्रवेश करने की कोशिश करते पाए गए। इस पूरे मामले ने अब माहौल को गरमा दिया है।
डॉ. रजनीश सिंह ने अपनी याचिका में ताजमहल के उन 22 कमरों को खोलकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वे कराने की मांग की है, जो लंबे वक्त से बंद हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि ताजमहल में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां और शिलालेख हो सकते हैं। अगर सर्वे होता है तो इससे मालूम चलेगा कि ताजमहज में हिंदू मूर्तियां और शिलालेख हैं या नहीं?
ये पहली बार नहीं है जब ताजमहल को लेकर विवाद खड़ा हुआ है। इसके पहले भी कई बार दावा किया जाता रहा है कि ताजमहल एक मंदिर को तोड़कर बनाया गया है। इतिहासकार प्रो. एसपी वर्मा कि आखिरी बार साल 1934 में इन कमरों को खोला गया था। तब यह देखने के लिए की कहीं अंदर से ताजमहल में कोई क्षति तो नहीं पहुंच रही है।
एएसआई से मिली जानकारी के मुताबिक, ताजमहल के बंद कमरे मुख्य मकबरे और चमेली फर्श के नीचे बने हैं। ये सालों से बंद हैं। चमेली फर्श पर यमुना किनारा की तरफ बेसमेंट में नीचे जाने के लिए दो जगह सीढ़ियां बनी हैं। इनके ऊपर लोहे का जाल लगाकर बंद कर दिया गया है। 40 से 45 साल पहले तक सीढ़ियों से नीचे जाने का रास्ता खुला हुआ था। इतिहासकार प्रो. राजकिशोर राजे का कहना है कि यदि इन कमरों को खोलकर निष्पक्ष जांच होती है, तो कुछ नया रहस्य सामने आ सकता है।
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