मिर्जापुर। सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित हो चुके मृतक भोला सिंह उर्फ श्यामनारायण खुद को जीवित साबित करने के लिए पिछले 15 वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं। कुछ ऐसी ही कहानी हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'कागज' के भरतलाल की है।
श्याम नारायण मिर्जापुर जिले में विकास खंड सिटी स्थित अमोई गांव के रहने वाले हैं। जब इनका मामला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Aditya Nath) के पास पहुंचा तो प्रशासन सक्रिय हो गया। मृत घोषित भोला सिंह के DNA टेस्ट के लिए उनका सैंपल लिया गया है।
इधर सरकारी रिकॉर्ड में भोला सिंह को मृत बताने वाले उनके भाई राजनारायण ने डीएनए टेस्ट के लिए अपना सैंपल देने नहीं आए। डीएनए टेस्ट के लिए राजनारायण का सैंपल देना काफी जरूरी है। गौरतलब है कि जब जांच टीम भाला सिंह के गांव अमोई पहुंची थी तब उनके भाई राजनारायण ने उन्हें पहचानने से भी इनकार कर दिया था। भोला सिंह के मामले की जांच एसडीएम सदर गौरव श्रीवास्तव और तहसीलदार सदर संयुक्त रूप से कर रहे हैं। कागज में मृत घोषित हो जाने के बाद भोला सिंह अपनी ससुराल लालगंज के खेमर रामपुर जाकर रहते हैं।
इनपर बनी है कागज फिल्म
सतीश कौशिक (satish kaushik) की कागज (Kaagaza) फिल्म लाल बिहारी के जीवन पर आधारित है। लाल बिहारी ने कागज में मृत घोषित हो जाने के बाद करीब 19 साल तक प्रशासन के साथ संघर्ष किया। भोला सिंह की कहानी भी लाल बिहारी से मिलती जुलती है। फिलहाल भोला का डीएनए टेस्ट का मामला अटक गया है। जब तक उनके भाई का सैंपल नहीं मिलेगा ये टेस्ट नहीं हो सकेगा। हालांकि मामले में खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने हस्तक्षेप किया है। प्रशासन भी अब मामले को लेकर काफी एक्टिव है। अब देखते हैं कागजों में मृत घोषित भोला का कब न्याय मिलेगा।
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