के जे श्रीवत्सन, जयपुर: राजस्थान में करीब 168 दिनों बाद कई धार्मिक स्थल अब भक्तों के लिए फिर से खुल गए हैं। लेकिन अभी भी ऐसे कई बड़े मंदिर हैं जिन्होंने की 1 अक्टूबर के बाद ही भक्तों के लिए खोला जाएगा। पुष्कर में जहां जगत पिता ब्रम्हा का मंदिर और अजमेर में विश्व विख्यात ख्वाजा मोहिनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को खोल दिया गया है, वहीं जयपुर के आराध्य देव गोविन्द देव जी नाथद्वारा स्थित श्रीनाथजी, सीकर का खाटूश्याम मंदिर, बीकानेर के करणीमाता मंदिर और चूरू स्थिल सालासर बालाजी मंदिर को फिलहाल श्रद्धालुओं के लिए नहीं खोला गया है। कहा जा रहा है कि कोरोना को धयान में रखते हुए इनमें से कई मंदिरों को 15 सितंबर से 30 सितंबर के बीच या उसके बाद खोले जा सकता हैं। लेकिन जो मंदिर खुले हैं वहां आयुर्वेदिक सेनेटाईजर के जरिए मंदिरों के साथ-साथ भक्तों को सेनेटाईज किया जा रहा है।
कोरोनाकाल में आम भक्तों के लिए बंद कर दिए गए राजस्थान के धार्मिक स्थल अब धीरे धीरे खुलने लगे हैं। इसकी शुरुआत जयपुर के बड़ी चौपद पर स्थित ध्वजगणेश मंदिर से हुई। जहां जयपुर के आराध्य देव गोविन्द देव जी, काले हनुमान जी मंदिर सहित कई मंदिरों के प्रमुख एक साथ इकठ्ठा हुए और उन्होंने प्रथम पूज्य गणेशजी की विधिवत पूजा आराधना करके मंदिरों को खोलने का एलान किया। जो मंदिर खोले जा रहे हैं उन्होंने कोरोनाकाल के सुरक्षा नियमों का कडाई से पालन किया जा रहा है। मंदिरों की घंटियों पर या तो सेंसर लगा दिए गए हैं या फिर उन्हें कपड़े से ढककर बंद कर दिया गया है। साथ ही दिन में दो-तीन बार मंदिरों को पूरी तरह सेनेटाईज करने और भक्तों से सोशल डिस्टेंसिंग के साथ दर्शन करने की अपील भी की जा रही है।
राजस्थान में जिन मंदिरों को आज से भक्तों के दर्शनों के लिए खोला गया है, उनमें बांसवाड़ा स्थित त्रिपुरा सुंदरी मंदिर, भरतपुर स्थित हनुमान मंदिर, करौली स्थित कैलादेवी और मदनमोहन मंदिर, पुष्कर का ब्रह्मा मंदिर भी शामिल है। इसके साथ ही अजमेर स्थित ख्वादजा मोइनुद्दीन चिश्तीह की दरगाह को भी खोला गया है, वहीं, जयपुर के आराध्य देव गोविंद देव मंदिर, मोतीडूंगरी गणेश मंदिर, राजसमंद स्थित नाथद्वारा मंदिर, सीकर के खाटूश्याम मंदिर, बीकानेर के करणीमाता मंदिर, चूरू स्थिल सालासर बालाजी मंदिर को फिलहाल श्रद्धालुओं के लिए नहीं खोला गया है। जिसका इस मंदिर के प्रबंधकों के पास जायज कारण भी है।
गोविन्द देव जी मंदिर के महंत मानस गोस्वामी का कहना है कि 'सरकार ने भले ही मंदिर खोलने की इजाजत दे दी है लेकिन सुरक्षा नियमों के चलते जिला प्रसाशन से बातचीत में कोई सतोषजनक समाधान नहीं निकला। इसलिए ये अभी नहीं खोले जा रहे हैं। इस वक़्त कोरोना का संक्रमण बहुत ही ज्यादा बढ़ रहा है, और हम नहीं चाहते की मंदिर में आने वाले भक्त को इससे कोई परेशानी हो। अभी हालत को देखा परखा जा रहा है।'
वहीं काले हनुमान जी का मंदिर के प्रबंधक योगेश शर्मा का कहना है कि 'हम अभी हमारे मंदिर को नहीं खोल रहे हैं , क्योंकि कोरोना का ख़तरा अभी बरक़रार है। थोड़ा और इंतजार करेंगे. और एक बार हम खुद कोरोना से कुछ हद तक सुरक्षित होने के प्रति आश्वस्त हो जाए तो फिर भक्तों के लिए भी मंदिर को खोल दिया जाएगा।'
वैसे सरकार ने अनलॉक-3 के दौरान ही ग्रामीण इलाकों में छोटे मंदिरों को 50 भक्तों की सिमित संख्या के साथ खोलने की इजाजत दे दी थी। अब अनलॉक- 4 में सोमवार से सभी मंदिर खोलने का आदेश है, लेकिन कोरोना के बढती संख्या के चलते इसका नहीं हो पा रहा है, लेकिन अच्छी बात यह है की जो मंदिर खुले हैं वहां परम्परागत तरीके से बने आयुर्वेदिक सेनेटाईजर का निशुल्क वितरण भी किया जा रहा है।
जाहिर है की अभी कोरोना के हर रोज लगातार बढ़ते मामलों को लेकर सभी परेशान है और शायद यही कारन है की मंदिर से जुड़े लोग भी भक्त और भक्वान के बीच दर्शनों की मंदिर में दूरी को ख़त्म करने से पहले कुछ और वक़्त लेना चाहते हैं ताकि भक्तों के सवास्थ्य के साथ खिलवाड़ का कोई आरोप मंदिर प्रसाशन पर ना लग जाए।
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