Pitru Paksha 2020: पितृ पक्ष की शुरुआत हो गई है। हर साल पितृ पक्ष की शुरुआत गणेश विसर्जन और अनंत चतुर्दशी के बाद शुरू होती है। यह हर साल श्राद्ध भाद्रपद शुक्लपक्ष पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक चलता है। श्राद्ध पूरे 16 दिन के होते हैं। मान्यता के मुताबिक पितृ पक्ष के दौरान पितरों को पिंडदान कराया जाता है। कई लोग अपने घरों में ही पूजा-पाठ और खाना बनाकर पितरों को भोजन कराते हैं तो कुछ विष्णु का नगर यानी गया में जाकर अपने पूर्वजों का पिंडदान करते हैं।
पितृदोष के संकेत...
- यदि घर में अकस्मात मृत्यु हो रही है, तो इसका कारण पित्तरों का श्राद्धवत तर्पण न होना होता है
- यदि वंशवृद्धि नहीं हो रही है, तो इसका कारण पित्तरों की विस्मृति होता है
- यदि भूमि की हानि हो रही है, तो इसका कारण पूर्वजों के द्वारा किये गए शुभ कामों की आपके द्वारा निंदा होती है
- यदि रोजगार में परेशानी आ रही है, तो यह धर्म विरुद्ध आचरण पितृ दोष की श्रेणी में आता है
- यदि मान-सम्मान में कमी हो रही है, तो यह गौ हत्या समरूप पितृदोष है
- यदि लगातार बीमार रहते हैं, तो यह नदी/कूपजल में मलमूत्र विसर्जन पितृदोष है
- यदि अपमान का सामना करना पड़ रहा है, तो यह अमावस्या संभोग पितृदोष का कारण है
- यदि घर में किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं होती है, तो यह भ्रूण हत्या पितृदोष का कारण है।
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में प्रबल पितृ दोष हो तो उन्हों पितरों का तर्पण अवश्य करना चाहिए। तर्पण मात्र से ही हमारे पितृ प्रसन्न होते हैं। वे हमारे घरों में आते हैं और हमको आशीर्वाद प्रदान करते हैं। यदि कुंडली में पितृ दोष हो तो इन सोलह दिनों में तीन बार एक उपाय करिए। सोलह बताशे लीजिए। उन पर दही रखिए और पीपल के वृक्ष पर रख आइये। इससे पितृ दोष में राहत मिलेगी। यह उपाय पितृ पक्ष में तीन बार करना है। दूरदराज में रहने वाले, सामग्री उपलब्ध नहीं होने, तर्पण की व्यवस्था नहीं हो पाने पर एक सरल उपाय के माध्यम से पितरों को तृप्त किया जा सकता है। दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके खड़े हो जाइए। अपने दाएं हाथ के अंगूठे को पृथ्वी की ओर करिए। 11 बार पढ़ें..ऊं पितृदेवताभ्यो नम:। ऊं मातृ देवताभ्यो नम: ।
ऐसे करें श्राद्ध...
- पहले यम के प्रतीक कौआ, कुत्ते और गाय का अंश निकालें
-ऊं पितृदेवताभ्यो नम: का जाप करते हुए किसी पात्र में दूध, जल, तिल और पुष्प लें। कुश और काले तिलों के साथ तीन बार तर्पण करें
- बाएं हाथ में जल का पात्र लें और दाएं हाथ के अंगूठे को पृथ्वी की तरफ करते हुए उस पर जल डालते हुए तर्पण करते रहें
- वस्त्रादि जो भी आप चाहें पितरों के निमित निकाल कर दान कर सकते हैं।
पितरों की शांति के लिए करें ये काम...
- एक माला प्रतिदिन ऊं पितृ देवताभ्यो नम: की करें
- ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: का जाप करते रहें
- भगवद्गीता या भागवत का पाठ भी कर सकते हैं।
हिंदू धर्म में पितृ ऋृण से मुक्ति के लिए श्राद्ध मनाया जाता है। हिंदू शास्त्रों में पिता के ऋृण को सबसे बड़ा और अहम माना गया है। पितृ ऋृण के अलावा हिन्दू धर्म में देव ऋृण और ऋषि ऋृण भी होते हैं, लेकिन पितृ ऋृण ही सबसे बड़ा ऋण है। इस ऋृण को चुकाने में कोई गलती ना हो इसीलिए इस दौरान खास नियम बरते जातें हैं।
श्राद्ध के दिन क्या करें और क्या नहीं...
- श्राद्ध हमेशा दोपहर के बाद ही करें जब सूर्य की छाया आगे नहीं पीछे हो
- कभी भी ना सुबह और ना ही अंधेरे में श्राद्ध करें
- इस दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान दें, ऐसा करना शुभ माना जाता है
- ब्राह्मणों को लोहे के आसन पर बिठाकर पूजा ना करें और ना ही उन्हें केले के पत्ते पर भोजन कराएं
- पिंडदान करते वक्त जनेऊ हमेशा दाएं कंधे पर रखें
- पिंडदान करते वक्त तुलसी जरूर रखें
- कभी भी स्टील के पात्र से पिंडदान ना करें, बल्कि कांसे या तांबे या फिर चांदी की पत्तल इस्तेमाल करें
- पिंडदान हमेशा दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके ही करें
- पिता का श्राद्ध बेटा ही करे या फिर बहू करे
- श्राद्ध करने वाला व्यक्ति श्राद्ध के 16 दिनों में मन को शांत रखें
- श्राद्ध हमेशा अपने घर या फिर सार्वजनिक भूमि पर ही करे
- किसी और के घर पर श्राद्ध ना करें।
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