नई दिल्ली : भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनहार माना गया है। उनकी उपासना करने से हम सभी को सुख-समृद्धि और धन-वैभव की प्राप्ति होती है।
विष्णुजी की पूजा करने के लिए हर महीने दो एकादशी आती हैं। एक शुक्ल पक्ष में पड़ती है और दूसरी कृष्ण पक्ष में आती है। चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में जो एकादशी पड़ती है, उसे पापमोचिनी एकादशी के रूप में जाना जाता है।
इस बार यह तिथि 7 अप्रैल को पड़ रही है। पुराणों में बताया गया है कि पापमोचिनी एकादशी का व्रत रखना बेहद शुभफलदायी माना गया है। जैसा कि नाम से स्पष्ट है, पापमोचिनी एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सभी पुराने पाप धुल जाते हैं और मन का मैल साफ हो जाता है।
पापमोचिनी एकादशी का महत्व
पापमोचिनी एकादशी के बारे में शास्त्रों में बताया गया है कि इस व्रत को करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर किया जा सकता है। इसके साथ ही मन के बुरे विचार भी नष्ट हो जाते हैं।
पापमोचिनी एकादशी का व्रत करने वाले जातकों को चंद्रमा भी शुभ फल देता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पीले फूलों से पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है। कुछ लोग इस दिन पूर्ण उपवास करते हैं, तो कुछ लोग इस दिन एक पहर भोजन करके व्रत करते हैं।
इस दिन नवग्रहों की पूजा करना सबसे अच्छा माना जाता है। इस दिन व्रत करने वाले जातकों को संसार के सभी सुख प्राप्त होते हैं।
पापमोचिनी एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त
एकादशी का आरंभ : 7 अप्रैल, सुबह 2 बजकर 9 मिनट से
एकादशी तिथि का समापन : 8 अप्रैल, सुबह 2 बजकर 28 मिनट तक
व्रत पारण करने का मुहूर्त : 8 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 39 मिनट से 4 बजकर 11 मिनट तक
पापमोचिनी एकादशी व्रत की पूजा-विधि
इस दिन भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप की पूजा की जाती है।
सुबह स्नान के बाद आप स्वच्छ वस्त्र धारण करें और उसके बाद लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति को स्थापित करें।
फिर दाएं हाथ में चंदन और फूल लेकर एकादशी का व्रत करने का संकल्प करें।
उसके बाद भगवान को पीले फल, पीले फूल और पीली मिष्ठान का भोग लगाएं।
उसके बाद यदि आप सक्षम हों तो विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और भगवान को जनेऊ अर्पित करें।
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