प्रशांत देव, नई दिल्ली: पाकिस्तान का टुकड़ा टुकड़ा होना तय है। कभी पीओके में गिलगित बाल्टिस्तान में बवाल तो कभी बलूचिस्तान में बगावत। मतलब इमरान बाजवा की उलटी गिनती शुरू हो गई है। हालांकि चाइनीज खान ने चीन से मिले एक नए साइलेंट हथियार से अटैक का हथकंडा अपना रहे हैं लेकिन उसका भी कोई फायदा नहीं मिलने वाला है। पाकिस्तान कभी टुकड़ों में बंट सकता है। खान साहब की सारी हेकड़ी धरी की धरी रह जाएगी। पाक हुक्मरान को सह देने वाले माओ भी कुछ नहीं कर पाएंगे। क्योंकि सिंध और बलूचिस्तान से आखिरी ऐलान हो चुका है।
खान साहब की मिल्कियत के टुकड़े होना तय हो गए हैं। बगावत की बुलंद आवाज ने बाजवा को साइलेंट कर दिया है। चाइनीज खान की परतें खोल रही है। बलूचिस्तान को हथियाने के सपने तोड़ रही है। पहले तो बाजवा की कायर फौज ने बेकसूर बलूचों पर बर्बरता की हद पार कर दी। क्या नौजवान और महिलाएं, बच्चे बूढ़ों के भी खून बहाने में इमरान सेना के हाथ नहीं कांप रहे हैं। अब इतने से भी मन नहीं भरा तो चीन में बैठे अपने आका की नाजायज़ केमिकल फैक्ट्री बन बैठे हैं। चीन के सह पर पीओके पर पूरा प्रभुत्व जमाने के लिए पाकिस्तान की सरकार ने हर हथकंडे अपना लिए। जब बात सेना से नहीं बनी तो साइलेंट किलिंग वाले हथियार से अटैक करना शुरू कर दिया।
जो धमाका हुआ था उसका असर अभी तक देखा जा रहा है। इसकी वजह से दिल की बीमारी, कैंसर समेत कई अन्य बीमारियां बलूचिस्तान में फैल रही है। लेकिन पाकिस्तान आपनी नाकामी और नालायकी को छिपाने की खातिर बलूचिस्तान में किए कारनामों को छिपाने की खातिर दुनिया को गुमराह कर रही है। दुनिया को ये बताया जा रहा है हमने जो एटमी प्रयोग किए हैं इससे कोई नुकसान नहीं है।
ड्रैगन की पूंछ पकड़कर चलने वाले इमरान खान आए दिन कश्मीर राग अलापने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। बॉर्डर पर बाजवा की फिसड्डी फौज पीठ पर वार करने में अपना समय खराब कर रही है, लेकिन खुद के घरों से उठ रही चिंगारी से अनजान बने बैठी है। इमरान बाजवा की फ्लॉप जोड़ी को अंदेशा ही नहीं है कि ये चिंगारी कब शोला बनकर उनको स्वाहा कर देगी और चीन की चालबाजी भी उनको नहीं बचा पाएगी। एक तरफ तो पूरी दुनिया कोरोना की मार झेल रही है। पाकिस्तान के हालात भी किसी से छिपे नहीं है। इलाज तो छोड़िए टेस्टिंग किट से भी पाकिस्तान की जनता महरूम है। डॉ नजर बलोच ने आरोप लगाए हैं कि पाकिस्तान में बलोच राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं और सिंधी कार्यकर्ताओं पर सरकार रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल कर उनके शवों को गायब कर दे रही है। मौजूदा हालात ये हैं कोरोना से मरने वालों से ज्यादा आंकड़े चीन से खरीदे केमिकल हथियारों के शिकार के हैं।
केमिकल हथियारों से बलूचों को निशाना बनाने के पीछे इमरान की क्या चाल है। जरा उसको समझिए। दरअसल केमिकल हमलों के बाद इसका असर धीरे धीरे लेकिन लंबे वक्त तक रहता है।
- केमिकल हथियारों को वेपन्स ऑफ मास डिस्क्ट्रक्शन की कैटेगरी में रखा जाता है।
- इसका मतलब भयंकर तबाही मचा देने की क्षमता रखने वाला हथियार।
- इसमें रेडियोलॉजिकल, जैविक और परमाणु हथियार भी शामिल हैं।
- इनमें क्लोरीन, सरिन, वीएक्स, नोविचोक जैसी गैस का इस्तेमाल किया जाता है।
- शरीर के अंदर जाने के बाद ये गैसें नर्वस सिस्टम को निष्क्रिय कर देते हैं।
- इंसानी दिमाग पर सबसे ज्यादा असर डालता है।
- केमिकल हमलों का असर महीनों सालों तक रहता है।
- आने वाली पीढ़ियां भी इसका शिकार हो सकती है।
बर्बरता की हद को पार कर चुकी पाक फौज मानवता को शर्मसार करने के नाम पर भी नए रिकॉर्ड बना रही है। पहले तो बलूच लड़ाकों को गायब किया जाता है। जेलों में बंद करके टॉर्चर किया जाता है। उससे भी जी नहीं भरता है तो मरने के बाद शवों को भी ठिकाने लगा दिया जाता है। जिनके परिवार के लोग गायब हैं वो अपने आंसुओं का सैलाब लेकर दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर है लेकिन अदालतों से लेकर सत्ता के गलियारों तक किसी को रत्तीभर फर्क नहीं पड़ता है।
इन लोगों का कहना है कि हमने हर कोशिश की। हर दरवाजा खटखटाया। अदालतों में भी गए। मिन्नत की भूख हड़ताल की लेकिन आज तक किसी ने मेरी फरियाद नहीं सुनी। मैं हुक्मरानों से यही सवाल करती हूं, क्या हम इंसान नहीं हैं। क्या इंसान आप खुद हैं। अपने बहन बेटियों के साथ अपने महलों में घरों में खुशी से रह रहे हैं लेकिन हम यहां सड़कों पर मजबूर होकर अपने प्यारों के लिए तड़प रहे हैं।
फरियादों का सिलसिला यहीं थमने वाला नहीं है। इमरान बाजवा के जुल्मों के फेहरिस्त काफी लंबी है। बहने अपने भाई के लिए रहम की भीख मांग रही है।
'मैं हुकुमत से अपील करती हूं कि मेरे भाई ने जो भी गुनाह किया है। उसे आप अदालतों में पेश करें। अदालतों के दरवाजे भी हमने खटखटाए। लेकिन अदालतों ने भी कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया। जब भी हम पेशी पर जाते हैं तो पेशी पर पेशी दिया जाता है। अगले महीने आए, अगले महीने आओ। हम हर महीने पेश होते हैं लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं मिलता है। हमारे भाइयों को लौटा दो। मुझे समझ नहीं आती मैं कहां जाऊं। किसे दरख्वास्त करूं। किसे बोलूं कि मेरे भाई को लेकर आए। मैं अकेली हूं।'
दर्द का अंबार ऐसा कि किसी पत्थर का दिल भी पसीज जाए, लेकिन पाकिस्तान के हुक्मरान सत्ता के नशे में चूर इतने मगरूर हैं कि कोई फर्क हीं नहीं पड़ता। कहते हैं कि किसी की हाय नहीं लेनी चाहिए, क्योंकि अगर हाय लग गई तो सर्वनाश तय है और यही अंजाम पाकिस्तान का होना है। बलूचिस्तान से लेकर सिंध तक तैयारी पूरी कर ली गई है। अब पाकिस्तान के टुकड़े होने से कोई नहीं बचा सकता है।
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