Navratri 2020: आज से नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। आज नवरात्रि का पहला दिन है। नवरात्रि का पहला दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप को समर्पित है। नवरात्र के पहले दिन जहां कलश स्थापना की जाती है वहीं मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है।
मान्यता है कि अगर विधि विधान से पूजा अर्चना कर देवी को प्रसन्न कर दिया जाए तो मनवांछित फल की प्राप्ति होती है और जीवन से सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। चूंकि नवरात्रि के पहले दिन ही घट स्थापना होती है और इसी दिन देवी शैलपुत्री की भी पूजा की जाती है इसीलिए ये दिन और भी विशेष हो जाता है।
ऐसा है मां शैलपुत्री का स्वरूप
शैलपुत्री का संस्कृत में अर्थ होता है ‘पर्वत की बेटी’। मां शैलपुत्री के स्वरूप की बात करें तो मां के माथे पर अर्ध चंद्र स्थापित है। मां के दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल का फूल है। वे नंदी बैल की सवारी करती हैं।
पूजा की विधि
नवरात्रि प्रतिपदा के दिन कलश या घट स्थापना के बाद दुर्गा पूजा का संकल्प लें। इसके बाद माता दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की विधि विधान से पूजा अर्चना करें। माता को अक्षत्, सिंदूर, धूप, गंध, पुष्प आदि अर्पित करें. इसके बाद माता के मंत्र का जाप करें। फिर कपूर या गाय के घी से दीपक जलाकर उनकी आरती उतारें और शंखनाद के साथ घंटी बजाएं और माता को प्रसाद चढ़ाएं। प्रसाद को लोगों में बांटे और खुद भी खाए।
वंदना मंत्र
वन्दे वाञि्छतलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम् ||
उपर्युक्त मंत्र का शुद्ध उच्चारण क्रिस्टल की माला से (१०८) बार करें |
स्त्रोत पाठ
प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन।
मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रमनाम्यहम्॥
माता आदि शक्ति के पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। मां शैल पुत्री की पूजा विधि-विधान से करने से आपदाओं से मुक्ति मिलती है। मां शैलपुत्री बैल की सवारी बैल करती हैं।
मां शैलपुत्री की पूजा के लाभ
- शैलपुत्री की भक्तिपूर्वक पूजा करने से मनुष्य कभी रोगी नहीं हो सकता है।
- शैलपुत्री की आराधना से आपदाओं से मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि मां सभी कष्टों को हरकर आपदाओं को दूर भगाती हैं।
- मां की प्रतिमा स्थापित होने के बाद उस स्थान पर आपदा, रोग, संक्रमण का खतरा नहीं होता और घर में खुशहाली आती है।
- मां शैल पुत्री की पूजा के लिए महिलाएं मंदिर में अपने सुहाग की लम्बी उम्र की मनोकामना के लिए नारियल और सुहाग का सामान चढ़ाती हैं।
- इसके अलावा मां शैलपुत्री के पूजन से भक्तों को धन वैभव,मान-सम्मान, प्रतिष्ठा भी मिलती है।
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