नई दिल्ली: इस साल नवरात्रि (Navratri 2020) की शुरुआत 17 अक्टूबर से होने जा रह है जो 25 अक्टूबर तक चलेगी। 25 अक्टूबर को विजय दशमी मनाई जाएगी। इस बार नौ दिनों में ही दस दिनों का पर्व दुर्गा पूजा (Durga Puja 2020) पूरा हो जाएगा। इसका कारण तिथियों का उतार चढ़ाव है।
24 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 58 मिनट तक अष्टमी है और उसके बाद नवमी लग जाएगी। दो तिथियां एक ही दिन पड़ रही है। इसलिए अष्टमी और नवमी की पूजा एक ही दिन होगी। जबकि नवमी के दिन सुबह 7 बजकर 41 मिनट के बाद दशमी तिथि लग जाएगी। इस कारण दशहरा पर्व और अपराजिता पूजन एक ही दिन आयोजित होंगे। कुल मिलाकर 17 से 25 अक्टूबर के बीच नौ दिनों में दस पर्व संपन्न हो रहे हैं।
पूरे नवरात्रि (Navratri) मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना की जाती है। नवरात्रि के हर दिन का अलग-अलग महत्व होता है। हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना से नवरात्रि की शुरुआत होती और इसी दिन कलश स्थापना (Kalash Sthapna) भी होती है।
मान्यता के मुताबिक मां दुर्गा नवरात्रि में कैलाश पर्वत से धरती के लिए अपनी यात्रा शुरू करती हैं। नवरात्रि में मां दुर्गा किसी खास वाहन पर सवार होकर धरती पर आती हैं। मां दुर्गा जिस वाहन से आती हैं, उस वाहन का एक संकेत होता है।यूं तो मां दुर्गा का वाहन सिंह को माना जाता है। लेकिन हर साल नवरात्रि के समय तिथि के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं। आम तौर पर मां दुर्गा पालकी, नाव, हाथी या घोड़े पर सवार होकर आती हैं। जिस वाहन से मां आती हैं, उसके संकेत से भविष्य में होने वाली घटनाओं का संकेत मिलता है।
ज्योतिषशास्त्र और देवीभाग्वत पुराण के मुताबिक मां दुर्गा का आगमन आने वाले भविष्य की घटनाओं के बारे में संकेत देता है। देवीभाग्वत पुराण के अनुसार नवरात्र की शुरुआत सोमवार या रविवार को होने पर देवी दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। वहीं अगर शनिवार या मंगलवार को नवरात्र की शुरुआत होने पर मां घोड़े पर सवार होकर आती है। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र आरंभ होने पर माता डोली पर आती हैं और बुधवार के दिन नवरात्र प्रारंभ होने पर मां नाव की सवारी कर धरती पर आती हैं। माता जिस वाहन से पृथ्वी पर आती हैं उसके अनुसार वर्ष में होने वाली घटनाओं का भी आकलन किया जाता है।
इस बार शारदीय नवरात्र का आरंभ शनिवार के दिन हो रहा है। ऐसे में देवीभाग्वत पुराण के कहे श्लोक के अनुसार माता का वाहन अश्व होगा। घोड़े पर आयेंगी मां और भैंस पर होंगी विदा। अश्व पर माता का आगमन छत्र भंग, पड़ोसी देशों से युद्ध, आंधी तूफान लाने वाला होता है। ऐसे में आने वाले साल में कुछ राज्यों में सत्ता में उथल-पुथल हो सकता है। सरकार को किसी बात से जन विरोध का भी सामना करना पड़ सकता है। कृषि के मामले में आने वाल साल सामान्य रहेगा। देश के कई भागों में कम वर्षा होने से कृषि का हानि और किसानों को परेशानी होगी। इस बार मां भैंसे पर विदा हो रही है और इसे भी शुभ नहीं माना जाता है।
वैसे ही माता के विदाई की सवारी भी भविष्य में घटने वाली घटनाओं की ओर इशारा करता है। इस बार विजयादशमी रविवार को है। शास्त्रों के अनुसार रविवार के दिन विजयादशमी होने पर माता हाथी पर सवार होकर वापस कैलाश की ओर प्रस्थान करती हैं। माता की विदाई हाथी पर होने से आने वाले साल में खूब वर्षा होती है।
Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.