नई दिल्ली। उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने की घटना के बाद एक और खतरा मंडरा रहा है। जल तांडव के बाद सैटेलाइट इमेज और एक्सपर्ट के हवाले से आ रही सूचना के मुताबिक ऋषिगंगा नदी ने एक और झील अस्थाई झील का निर्माण हो रहा है।
जानकारी के मुताबिक नदी के अपस्ट्रीम ( ऊपरी धारा) में बहाव रुक गया है। इससे नदी के पानी ने झील की शक्ल ले ली है। पानी के बढ़ते दबाव से झील टूटी तो चमोली के निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बनने की आशंका जताई जा रही है।
पानी कितना जमा है ये पता नहीं- सीएम रावत:
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि उसपर सेटेलाइट के माध्यम से निगाह रखे हुए हैं। अभी तक जो झील की स्थिति है सावधान रहने की जरूरत है , घबराने की जरूरत नहीं है। ये लगभग 400 मीटर लंबी है गहराई का अभी अनुमान नहीं है। ऋषि गंगा से आये मलबे के चलते ये झील बनी है। अभी 12 मीटर उसकी ऊंचाई नजर आ रही है। लेकिन उसमें पानी कितना है अभी उसका अनुमान नहीं है। वैज्ञानिकों की टीम भी वहां जा रही है और यह भी प्रयास है कि कुछ लोगों को वहां एयर ड्राप किया जाए। इसके लिए अनुभवी प्रशिक्षित लोगों को तलाशा जा रहा है।
जान पर खेलकर यूं राशन पहुंचा रहे SDRF के जवान:
त्रासदी के बाद पुल बह जाने से रैणी गांव का संपर्क टूट गया है। ऐसे में SDRF कीटीम नदी के ऊपर जिप लाइन की मदद से जान पर खेलकर रसद पहुंचा रहे हैं ताकि गांव में लोग भूखे न रहें।
पुल टूटने से 12 गावों का संपर्क टूटा:
चमोली ब्रिज टूटने से नदी के दूसरी ओर 12 गावों का संपर्क टूट गया है। ऐसे में उन गांवों को जोड़ने के लिए ITBP के जवान झूला ब्रिज का निर्माण कर रहे हैं। साथ ही हेलीकॉप्टर से उन गावों में रसद गिराई जा रही है।
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