मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़: होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। देशभर में होली का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार यह पर्व 2 दिन मनाया जाता है। पहले होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन रंग वाली होली खेली जाती है। इस साल होलिका दहन आज और होली कल है।
पंचांग के अनुसार होलिका दहन का मुहूर्त आद शाम (28 मार्च) को शाम 18 बजकर 37 मिनट से रात्रि 20 बजकर 56 मिनट तक रहेगा यानि 02 घंटे 20 मिनट तब होलिका दहन का मुहूर्त बना हुआ है। इसी मुहूर्त में होलिका दहन करना अत्यंत शुभ है। इस वर्ष होलिका दहन के समय भद्रा नहीं रहेगी।
होली रंगों का त्योहार इस वर्ष यह 29 मार्च 2021 को मनाया जाएगा, इससे पहले 28 मार्च को होलाष्टक समाप्ति के साथ होलिका दहन होगा। पूर्णिमा तिथि 28 मार्च 2021 दिन रविवार की रात में होलिका दहन किया जाएगा । भद्रा दिन में 1 बजकर 33 बजे समाप्त हो जाएगी। साथ ही पूर्णिमा तिथि रात में 12:40 तक ही व्याप्त रहेगी। शास्त्रानुसार भद्रा रहित पूर्णिमा तिथि में ही होलिका दहन किया जाता है इस कारण रात में 12:30 बजे से पूर्व होलिका दहन हो जाना चाहिए। क्योंकि रात में 12:30 बजे के बाद प्रतिपदा तिथि लग जाएगी।
होलिका दहन के दिन बन रहे हैं ये शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक।
अमृत काल- सुबह 11 बजकर 04 मिनट से दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक।
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04 बजकर 50 मिनट से सुबह 05 बजकर 38 मिनट तक।
सर्वार्थसिद्धि योग- सुबह 06 बजकर 26 मिनट से शाम 05 बजकर 36 मिनट तक। इसके बाद शाम 05 बजकर 36 मिनट से 29 मार्च की सुबह 06 बजकर 25 मिनट तक।
अमृतसिद्धि योग- सुबह 05 बजकर 36 मिनट से 29 मार्च की सुबह 06 बजकर 25 मिनट तक।
होलिका दहन का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
होली के आयोजन में अग्नि प्रज्जवलित कर वायुमंडल से संक्रामक जर्म्स दूर करने प्रयास होता है। कोरोना काल में होलिका दहन से वातावरण शुद्ध होगा। इस दहन में वातावरणशुद्धि हेतु हवन सामग्री के अलावा गूलर की लकड़ी,गोबर के उपले, नारियल,अधपके अन्न आदि के अलावा बहुत सी अन्य निरोधात्मक सामग्री का प्रयोग किया जाता है जिससे आने वाले रोगों के कीटाणु मर जाते हैं।
जब लोग 150 डिग्री तापमान वाली होलिका के गिर्द परिक्रमा करते हैं तो उनमें रोगोत्पादक जीवाणुओं को समाप्त करने की प्रतिरोधात्मक क्षमता में वृद्धि होती है और वे कई रोगों से बच जाते है।ऐसी दूर दृष्टि भारत के हर पर्व में विद्यमान है जिसे समझने और समझाने की आवश्यकता है।
देश भर में एक साथ एक विशिष्ट रात में होने वाले होलिका दहन, इस सर्दी और गर्मी की ऋतु -संधि में फूटने वाले मलेरिया ,वायरल, फलू और वर्तमान स्वाइन फलू आदि तथा अनेक संक्रामक रोग-कीटाणुओं के विरुद्ध यह एक धार्मिक सामूहिक अभियान है जैसे सरकार आज पोलियो अभियान पूरे देश में एक खास दिन चलाती है। इस पर्व को नवानेष्टि यज्ञ भी कहते हैं क्योंकि खेत से नवीन अन्न लेकर यज्ञ में आहुति देकर फिर नई फसल घर लाने की हमारी पुरातन परंपरा रही है।
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