नई दिल्ली : कोरोना संकट के बीच भारत समेत दुनियाभर में होली की तैयारी जोरों पर है। आज होलिका दहन है जबकि कल रंगों का पर्व होली है। होली का ऐसे विशेष अवसर हैं जब हर प्रकार की साधनाएं, तांत्रिक क्रियाएं और छोटे छोटे उपाय भी सार्थक हो जाते हैं।
मान्यता के मुताबिक होलिका दहन के बाद परिक्रमा करते हुए अगर अपनी इच्छा कह दी जाए तो वो सच हो जाती है। ऐसा भी माना जाता है कि होलिका दहन के दिन सफेद खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। होली की बची हुई अग्नि और भस्म को अगले दिन सुबह अपने घर ले जाने से सभी नकारात्मक उर्जा दूर हो जाती है।
होलिका पूजन मंत्र
अहकूटा भयत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै:
अतस्तां पूजयिष्यामि भूति भूति प्रदायिनीम।
होलिका दहन कार्यक्रम करते समय पूजन करते समय यह मंत्र बोलना न भूलें।
'ॐ होलिकायै नम:' बोलकर गंध-अक्षत इत्यादि चढ़ाएं।
'ॐ प्रहलादाय नम:' बोलकर गंधाक्षत करें।
'ॐ नृसिंहाय नम:' बोलकर गंधाक्षत करें।
इसके बाद 7 बार होलिका पर सूत लपेट दें। अपनी मनोकामना मन ही मन बोलें। होलिका की 3 परिक्रमा कर समस्त पूजन सामग्री पास ही रखकर जल चढ़ाकर वापस आएं। इस पूजन के बाद की जाने वाली प्रार्थना जल्द ही पूर्ण होती है। साधारणतया लकड़ी कई दिनों तक जलती है। यह आवश्यक नहीं है। यदि होलिका जल्दी ठंडी होती है तो यह अच्छा माना जाता है। होली पर कई सारे उपाय और मंत्र आजमाए जाते हैं। लेकिन सही मायनों में मात्र एक ही मंत्र है जिसके जप से होली पर पूजा की जाती है और इसी शुभ मंत्र से सुख, समृद्धि और सफलता के द्वार खोले जा सकते हैं।
होलिका दहन के दिन बन रहे हैं ये शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक।
अमृत काल- सुबह 11 बजकर 04 मिनट से दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक।
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04 बजकर 50 मिनट से सुबह 05 बजकर 38 मिनट तक।
सर्वार्थसिद्धि योग- सुबह 06 बजकर 26 मिनट से शाम 05 बजकर 36 मिनट तक। इसके बाद शाम 05 बजकर 36 मिनट से 29 मार्च की सुबह 06 बजकर 25 मिनट तक।
अमृतसिद्धि योग- सुबह 05 बजकर 36 मिनट से 29 मार्च की सुबह 06 बजकर 25 मिनट तक।
होलिका पर भद्रा नहीं
इस बार होली दहन के दौरान भद्रा नहीं रहेगी। भद्रा भगवान सूर्यदेव की पुत्री और शनिदेव की बहन हैं। शनिदेव की तरह उसका स्वभाव भी उग्र है। ब्रह्मा जी ने कालखंड की गणना और पंचांग में भद्रा को विष्टिकरण में रखा है। क्रूर स्वभाव के कारण ही भद्राकाल में शुभकार्य निषेध हैं। केवल तांत्रिक, न्यायिक और राजनीतिक कर्म ही हो सकते हैं। होली पांच बड़े पर्व में एक है। यह पर्व भी असुरता पर विजय का पर्व है। इस कारण भद्रा का विशेष ध्यान रखा जाता है।
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