डॉ. एम एस लालपुरिया, ज्योतिष शोधकर्ता: अगले महीने यानी नवंबर में कई ग्रहों के घरों में परिवर्तन होने वाले हैं। इनमें गुरु यानी बृहस्पति भी शामिल है। आध्यत्मिक जगत का स्वामी तथा ब्रह्मा का प्रतिनिध बृहस्पति 20 नवम्बर 2020 को अपने स्वयं का घर छोड़कर अपनी नीच राशि मकर में प्रवेश करेगा। वह इस राशि में साल के अंत तक रहेंगे।
जन्म कुण्डली में पंचम तथा नवम भाव का कारक ग्रह बृहस्पति शनि ग्रह के साथ युति कर जातक के बच्चों तथा भाग्य पर अपना प्रभाव दिखाएगा। पिता दादा तथा कुल पुरोहित का प्रतिनिधित्व करने वाले बृहस्पति की पीतल तथा सोना धातु होती है। पुखराज इसका रत्न एंव पिपल इसका वृक्ष होता है। केसर, कुमकुम, हल्दी व चने की दाल इसकी वस्तुए होती हैं, जिन्हें अशुभता कम करने के लिए दान में दी जाती है।
नीच राशि का बृहस्पति, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या तथा कुभ राशि वाले जातकों के लिए अशुभ फल बढ़ायेगा। शेष राशियों के लिए इसकी अशुभता नहीं होगी। राशिगत प्रभाव इस प्रकार रहेगा। शनि साय होने के कारण कोई विशेष अशुभता नहीं होगी।
बृहस्पति देव को देवताओं का गुरु माना जाता है। बृहस्पति देव को सुख-सुविधाओं, संपत्ति और धन का कारक ग्रह माना जाता है। गुरु के गोचर करने पर सभी राशियों पर इनका प्रभाव पड़ेगा। ऐसे में गुरु का गोचर होना कुछ राशियों के सुख-संपत्ति में बढ़ोतरी होगी और धन की वृद्धि के योग बनेंगे तो कुछ राशियों के जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हम आपको उन राशियों के बारे में बता रहे हैं, जिन पर गुरु के राशि परिवर्तन लाभदायक रहेगा।
आइए जानते हैं गुरु के राशि परिवर्तन से किसके जीवन में अच्छे दिन आने वाले हैं।
मेष लग्न के जातकों के कर्म भाव संपत्ति विनियोग पर प्रभाव रहेगा। इस दौरान ऋण शत्रुता भी बढ़ेगी। बृहस्पति की अशुभता कम करने के लिए बहते पानी में ताम्बे का सिक्का डालें तथा अपनी नाक हमेशा साफ रखें।
वृष राशि वाले जातकों को बात-बात में क्रोध आना, स्वयं बच्चों को प्रतियोगिता में असफलता तथा प्यार व रोमांस में कपट को बढ़ावा देगा। धार्मिक बने रहना, धर्म स्थल पर मदद करने से अशुभता ने कमी आयेगी।
इस लग्न के जातकों की अचानक दुर्घटना अपमान घर में झगड़ा आदि घटनाओं का सामना करना पड़ेगा। घर के पीछे फुलों के पौधे लगाने से अशुभता में कमी आएगी।
कर्क लग्न के जातकों को साझेदारी व्यवसाय में हानि आय में कमी एवं दांपत्य सुख में कमी हो सकती है। भिखारियों को भोजन कराने से अशुभता कम होगी।
सिंह राशि वाले जातकों को सन्तान व सम्पति का नुकसान हो सकता हैं। कार्य क्षेत्र में शत्रुता भी बढ़ेगी। पीतल के बर्तन में चने की दाल आदि का मंदिर में दान करें। ऐसा करने से अशुभता में कमी का योग बनेगा।
इस लग्न के जातकों के बच्चों का भग्य काम नहीं करेगा। प्यार तथा रोमांस में असफलता का योग बढ़ेगा। दान स्वीकार न करना तथा प्रसाद ग्रहण भी नहीं करना शुक्र के प्रभाव को कम करेगा।
अशुभ घटनाओं का सामना करना तथा मित्रों द्वारा कपट करने जैसी घटनाएं होगी। बड़ों की सेवा करना तथा मंदिर में जाकर पूजा-पाठ करने से अशुभता में कमी का योग बढ़ाएगा।
इस लग्न के जातकों पर बृहस्पति की अशुभता कम होगी। दाम्पत्य जीवन पर थोड़ा प्रभाव आ सकता है। अपनों से बड़ों की सेवा करने से अशुभता मे कमी आएगी ।
इस लग्न के जातकों को शेयर विनियोग में हानि हो सकती हैं। ऋण लेकर कोई नया व्यवसाय शुरू करना पड़ सकता हैं। अशुभता कम करने के लिए केसर और हल्दी का तिलक लगाना चाहिए।
स्वयं का स्वास्थ्य प्रभावित होगा, बच्चों को असफलता का सामना करना पड़ेगा। पिता को कष्ट का योग बढ़ेगा। किसी की मदद स्वीकार ना करें तथा पीपल के पेड़ में जल चढ़ाये ऐसा करने से अशुभता कम होगी।
घर में तनाव तथा दुर्घटना को बढ़ावा देगा, साथ ही चिकित्सा पर खर्चे का योग बनेगा। साधु संत की सेवा तथा पीपल के पेड़ मे जल चढ़ाने से अशुभता में कमी आयेगी।
इस लग्न के जातकों पर कोई विशेष नकारात्मक प्रभाव नहीं होगा। आय के साथ व्यय हो सकता है। तथा पड़ोसी से थोड़ा तनाव हो सकता है। अपनी जेब में पीला रुमाल रखें। ऐसा करने से अशुभता कम होगी।
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