नई दिल्ली: आज देवोत्थान एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) के साथ-साथ तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) है। हिन्दू धर्म में देवोत्थान एकादशी (Dev Uthani Ekadashi 2020) और तुलसी विवाह (Tulsi Vivah 2020) का विशेष महत्व है। मान्यता के मुताबिक सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु चार महीने तक सोने के बाद दवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं। इसी दिन भगवान विष्णु शालीग्राम रूप में तुलसी से विवाह करते हैं। देवउठनी एकादशी से ही सारे मांगलिक कार्य जैसे कि विवाह, नामकरण, मुंडन, जनेऊ और गृह प्रवेश की शुरुआत हो जाती है। हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक देवउठनी एकादशी या तुलसी विवाह कार्तिक महिने की शुक्ल पक्ष एकादशी को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक यह त्योहार हर साल नवंबर में आता है।
मान्यता के मुताबिक सभी एकादशियों में देवोत्थान एकादशी को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। देवोत्थान एकादशी का व्रत करने वालों को स्वर्ग और बैकुंठ की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में देवउठनी एकादशी पर कुछ उपाय करने से जहां मोक्ष की प्राप्ति होती है तो वहीं बताए गए नियम का पालन ना करने पर दुर्भाग्य का सामना करना पड़ता है। देवउठनी एकादशी के दिन विष्णु जी की व्रत कथा सुनने से 100 गायों को दान के बराबर पुण्य मिलता है। इस दिन तुलसी विवाह भी किया जाता है। वहीं, इस दिन व्रत रखना भी शुभ माना जाता है।
पूजा विधि
- देवुत्थान एकादशी के दिन की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए।
- नहाने के बाद सूर्योदय होते ही भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु को बेल पत्र, शमी पत्र और तुलसी चढ़ाएं।
- पूरे दिन भूखे रहने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करके व्रत खोलना चाहिए।
- मान्यता है कि देवउठनी के दिन सोना नहीं चाहिए, इसीलिए इस रात लोग सोते नहीं हैं। बल्कि भजन-कीर्तन कर भगवान विष्णु का नाम लेते हैं।
शुभ मुहूर्त
- एकादशी तिथि का आरंभ - 25 नवंबर दोपहर 2 बजकर 42 मिनट से
- एकादशी तिथि की समाप्ति - 26 नवंबर शाम 5 बजकर 10 मिनट तक
देवुत्थान एकादशी कथा
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, एक बार माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से कहा, हे नाथ! आप समय से नींद नहीं लेते, दिन-रात जागते हैं और फिर अचानक लाखों वर्षों तक सो जाते हैं। आप नियम से प्रतिवर्ष निद्रा लिया करें। मां लक्ष्मी ने आगे कहा आपके ऐसा करने से मुझे भी कुछ विश्राम करने का समय मिल जाएगा।
इस बात को सुन विष्णु जी मुस्कुराए और बोले, देवी तुमने ठीक कहा। मेरे जागने से तुम्हे ही नहीं बल्कि सभी देवों को कष्ट होता है। मेरी सेवा की वजह से तुम्हें कभी भी आराम नहीं मिलता। इसीलिए मैं अब प्रति वर्ष नियम से चार महीनों के लिए शयन करूंगा। ऐसे तुम्हें और सभी देवगणों को अवकाश मिलेगा। इसी शयन के बाद सभी शुभ कार्यों का आरंभ होगा।
इस कथा के मुताबिक देवउठनी एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु चार महीने की नींद से जागते हैं और सभी शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है।
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