रांचीः झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर सरना आदिवासी धर्म कोड की मांग करते हुए प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है। आदिवासी हितों की सुरक्षा के लिए आदिवासी मंत्रालय का निर्माण हुआ।
पांचवीं और छठी अनुसूची भी आदिवासी हित के लिए बनाई गई है। आदिवासी समाज एक ऐसा समाज है, जिसकी सभ्यता, संस्कृति, व्यवस्था बिल्कुल अलग है। आदिवासियों को लेकर जनगणना में अपनी जगह स्थापित करने हेतु वर्षों से मांग रखी जा रही है। उन्होंने कहा उम्मीद करते हैं कि इस पर सरकार गंभीरता से विचार करेगी।
आगे मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ग्रामीणों की क्रय शक्ति बढ़ाना चाहती है। इसके लिए कृषि, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और आधारभूत संरचना के निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। लाह और रेशम को राज्य सरकार कृषि का दर्जा देने की दिशा में काम कर रही है। मुझे लगता है। भारत आत्मनिर्भर देश तभी बनेगा। जब ग्रामीण क्षेत्र का सशक्तिकरण होगा। ग्रामीणों का आर्थिक संसाधन कैसे बढ़े। इस पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि झारखण्ड श्रमिक प्रधान राज्य है। इनके लिए रोजगार सृजन कैसे की जाए इसपर विचार करने की जरूरत है। केंद्र सरकार द्वारा 202 रुपये बतौर मजदूरी दर अंकित किया गया है, जो देश के अन्य राज्यों से कम है। आज के दौर में मनरेगा की कार्ययोजना से झारखंड के श्रमिक कम लाभान्वित हो रहें हैं। केंद्र सरकार इस अंकित दर में वृद्धि करे।
मुख्यमंत्री ने बताया कि अक्सर क्षेत्र भ्रमण के क्रम में वृद्धों से बात करने का अवसर प्राप्त होता है। वृद्धों की शिकायत रहती है कि उन्हें पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है। संबंधित पदाधिकारी बताते हैं कि टारगेट पूर्ण हो चुका है। क्या यूनिवर्सल पेंशन देकर ऐसे वृद्धों को लाभान्वित नही किया जा सकता। केंद्र सरकार द्वारा 2007 के बाद से पेंशन की राशि मे वृद्धि नहीं हुई है। हालांकि राज्य सरकार राज्य कोष से इसको बढ़ाया है। पेंशन को यूनिवर्सल करने पर केंद्र सरकार विचार करे।
- संक्रमण काल मे राशि की हुई कटौती
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी राज्य को आर्थिक रूप से मजबूत होना आवश्यक है। केंद्र सरकार द्वारा बजट में झारखण्ड को दिया जानेवाला शेयर 1750 करोड़ होता है। लेकिन इसे 1200 करोड़ कर दिया गया। इससे राज्य को करोड़ो का नुकसान उठाना पड़ रहा है। साथ ही, कोरोना संक्रमण काल मे डीवीसी द्वारा राज्य सरकार के खाते से 2131 करोड़ रूपये की कटौती कर ली गई, जबकि झारखण्ड के लिए इस मुश्किल दौर में यह फंड जरूरी था। क्योंकि यह श्रमिक प्रधान राज्य है।
- फारेस्ट क्लीयरेंस को लचीला बनाया जाये
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखण्ड का बड़ा हिस्सा जंगल -झाड़ी से आच्छादित है। किसी भी तरह के उद्योग स्थापित करने में राज्य सरकार के उद्योग और उद्यमियों को फारेस्ट क्लीयरेंस लेने में इससे परेशानी होती है। साथ ही, अधिग्रहित की गई जमीन के एवज में समतुल्य जमीन उपलब्ध कराने में परेशानी होती है। केंद्र सरकार इन विषयों पर विचार करते हुए इसे लचीला बनाने की दिशा में काम करे तो झारखण्ड जैसे प्रदेश को भी उद्योग स्थापित करने में आसानी होगी।
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