पल्लवी झा, नई दिल्ली: वॉयस ऑफ बैंकिंग ने बैंकों के डिपोजिटर्स की अनदेखी को लेकर सरकार को कई सुझाव दिए है ताकि जमाकर्ताओ का हित हो सके | वॉयस ऑफ बैंकिंग के फाउंडर अश्विनी राणा ने प्रधानमंत्री के एक कार्यक्रम में बैंकों के डिपोजिटर्स को सम्बोधित करने से पहले कई बिंदुओं को रेखांकित करते हुए सरकार को सुझाव दिया है .
सुझाव नंबर1-
*बैंक डिपोजिटर्स के 5 लाख से ज्यादा जमा राशि के लिये भी डिपाजिट बीमा की सुविधा* : वित् मंत्री द्वारा पिछले बजट में बैंक ग्राहकों के लिए जमा राशि के लिए डिपाजिट बीमा की सुविधा को 1 लाख से बढ़कर 5 लाख कर दिया है। इससे बैंकों के ग्राहकों को बड़ी राहत मिली है और वह अपने को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। जिन ग्राहकों की जमा राशि 5 लाख से अधिक है और उनको लगता है कि उनकी बैंकों में जमा राशि सुरक्षित नहीं है उनके लिए एक विशेष डिपाजिट बीमा की शुरुआत करनी चाहिए जिसके द्वारा ग्राहक 5 लाख से अधिक की अपनी जमा राशि को कुछ प्रीमियम देकर सुरक्षित रख सकते हैं। सरकार के इस कदम से ग्राहकों को राहत महसूस होगी वहीँ बैंकों से ग्राहक अपनी जमापूंजी दूसरी जगह जेसे चिटफंड, क्रिप्टो करेंसी, शेयर मार्किट या ऐसे अन्य जगह पर इन्वेस्ट नहीं करेंगे ।
सुझाव नंबर 2
*बैंकों में डिपोजिट पर ब्याज दरों को कम न किया जाय* : रिजर्व बैंक लोन लेने वालों को राहत देने के नाम पर डिपोजिट पर भी ब्याज दरों को कम करता जा रहा है इससे उन ग्राहकों के लिए बहुत मुश्किल होती जा रही है जो डिपोजिट पर ब्याज के द्वारा ही अपना जीवन यापन कर रहे हैं। अगर इसी तरह ब्याज दरें कम होती रहीं तो लोग अपनी जमापूंजी को बैंकों से निकाल कर चिटफंड, क्रिप्टो करेंसी, शेयर मार्किट या ऐसे अन्य जगह पर इन्वेस्ट करने को मजबूर होंगे, जिससे बैंकों से जमाराशि तो निकलेगी ही साथ ही गलत जगह इन्वेस्ट करने से लोगों को भी भारी नुक्सान हो सकता है। इसलिए सरकार इस तरफ भी ध्यान दे।
सुझाव नंबर 3-
*एकीकृत शिकायत पोर्टल* : रिजर्व बैंक को ग्राहकों की सुविधा के लिये एकीकृत शिकायत पोर्टल को सभी बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के ग्राहकों की सभी तरह की शिकायतों के लिये भी शुरू करना चाहिये । अभी किसी भी तरह की शिकायत के लिए ग्राहक सम्बंधित बैंक में अपनी शिकायत करता है, ज्यादातर ग्राहक अपनी शिकायत को बैंक की शाखा, ग्राहक शिकायत केन्द्र, क्षेत्रिय कार्यलय, अंचल कार्यलय, प्रधान कार्यलय और बैंकों के चेयरमैन तक को अलग अलग कर देते हैं, जिससे एक ही शिकायत पर सभी जगहों पर अलग अलग कार्यवाही शुरू हो जाती है और एक ही शिकायत के लिए बैंकों की मैनपावर का नुक्सान होता है । यदि बैंकों के लिए भी एकीकृत शिकायत पोर्टल की शुरुआत होती है तो ग्राहक किसी भी बैंक की शिकायत एक पोर्टल पर करेगा और उस पोर्टल से शिकायत को सम्बंधित बैंक को भेज दिया जायेगा और ग्राहकों को शिकायत के लिय अलग अलग अधिकारीयों और कार्यालयों को भेजना नहीं पड़ेगा । इससे बैंकों की कार्यक्षमता में भी लाभ होगा।