अमित कुमार, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो गया और रामलला फिर से विराजमान होंगे। तीन फ्लोर का भव्य मंदिर 3 साल में बनकर तैयार हो जाएगा। रामलला फिर अपने भव्य मंदिर के गर्भगृह में विराजमान होंगे। गर्भगृह में रामलला की वहीं मूर्ति रहेगी जो 1949 में जमीन से मिली थी। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि गर्भगृह में रामलला की वहीं मूर्ति रहेगी जो 1949 में जमीन से मिली थी।
हालांकि रामलला की ये मूर्ति बहुत छोटी है। इसी के चलते श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का मानना है कि भव्य मन्दिर में श्रद्धालु को रामलला के दर्शन में दिक्कत होगी। इसलिए रामलला की हूबहू बड़ी मूर्ती बनाया जाए ताकि दुनिया भर से आने वाले श्रद्धालु रामलला के ठीक से दर्शन कर सके। गर्भगृह में रामलला का प्रतिस्थापना होगा वो अचल मूर्ती होगी यानी हमेशा वही मूर्ति गर्भगृह में विराजमान रहेगी। लेकिन नई और बड़ी रामलला की मूर्ती चल मूर्ती के रूप में होगी। श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे और शोभा यात्रा या अनुष्ठान के लिए उस मूर्ति को बाहर लाया जा सके।
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट में जिन्होंने मुकदमा लड़ा है और जिनके पक्ष में डिग्री अवार्ड हुई है, उन्हें कैसे बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि मंदिर बनने के बाद भी यही रामलला अपने पूर्व के निर्धारित स्थान पर प्रतिष्ठित होंगे।
दरअसल 1949 से स्थापित रामलला के बाल्यरूप वाली मौजूदा मूर्ति बहुत छोटी है। हालांकि ऐसा माना जाता है कि विवादित ढांचे में ये बाल्य रूप वाली मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी। जबकि कुछ लोग इसको गलत मानते हैं और कहते हैं कि किसी ने मूर्ति को चुपके से वहां रखा दिया था। लेकिन सच्चाई जो भी हो, रामलला की उस मूर्ति को अब सनातनी और कानूनी मान्यता मिल गई है।
Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.