(केजे श्रीवत्सन) कोटा: कोचिंग सिटी कोटा एक बार फिर से कोरोना की गिरफ्त में है। यहां पिछले एक हफ्ते से लगातार 100 से भी ज्यादा संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा चिंता देश भर से यहां पढ़ने के लिए आये विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर है। लेकिन इस बार राजस्थान सरकार ने यहां पढ़ने वाले छात्रों की सुरक्षा के लिए डेटा बेस तैयार कराने का फैसला किया है।
देश भर से यहां इंजीनियरिंग और मेडिकल के एंट्रेंस टेस्ट की कोचिंग के लिए आने वाले विद्यार्थियों की पढाई- लिखाई और दूसरी सुविधाओं के साथ कोरोना जैसे संक्रमण की स्थिति में सुरक्षा का बेहतर प्रबंधन समय रहते हो सके। इसके लिए राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने राज राजकाम्प इन्फो सर्विसेज लिमिटेड के जरिए कोटा के कोचिंग करने वाले 2 लाख बच्चों का डेटाबेस तैयार करने का निर्देश दिया है। इस काम पर कारीब 68 लाख रूपये खर्च होंगे।
कोचिंग हब के नाम से देश भर में पहचाने वाले राजस्थान के कोटा शहर में 10 बड़े और 50 से भी ज्यादा छोटे कोचिंग सेंटर है जहां पर हर साल लाखों विद्यार्थी प्रवेश लेते हैं। एक अनुमान के मुताबिक कोटा के कोचिंग सेंटरों में 2 लाख से भी ज्याद विद्यार्थी इंजीनियरिंग, मेडिकल जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं।
जिनके रहने के लिए 25 हजार से ज्यादा पेईंग गेस्ट, 3 हजार हॉस्टल और करीब 1800 से ज्यादा छोटे बड़े मेस संचालित हैं। कोचिंग सेंटर के चलते कोटा के करीब 3 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार होता है। ऐसे में अभिभावकों को उनके बच्चों की चिंता से कुछ हद तक मुक्ति दिलाने के लिए ही इस तरह के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की जा रही है।
इसके तहत सभी कोचिंग विद्यार्थियों के लिए वेब पोर्टल और मोबाईल एप भी तैयार किया जाएगा। जिसमें इन सभी विद्यार्थियों के स्थायी पते , उनके परिजनों का विवरण, कोचिंग सेंटर, वहां उपलब्ध सुविधाएं, मेस में खाने-पीने की व्यवस्थाओं की जानकारी तो होगी ही, साथ ही इस पोर्टल के माध्यम से विद्यार्थियों की कोचिंग सेंटर्स, मेस, आवास जैसी शिकायतों को दर्ज करके उसका समाधान करने की भी व्यवस्था होगी। इसके अलावा कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों से नियमित रूप से उनके बच्चों की शैक्षणिक गतिविधियों की प्रगति की भी जानकारी दी जायेगी।
इस पूरी प्रक्रिया का मकसद कोटा में कोचिंग करने आने वाले 2 लाख से भी ज्यादा विद्यार्थियों के पास इन स्थानीय और प्रवासी विद्यार्थियों की सही संख्या और रेकॉर्ड उपलब्ध करना है ताकि जरूरत के वक्त इनके लिए भी बेहतर तरीके से नियम कायदे और योजनाएं बनायी जा सकें।
सूत्रों की मानें तो पिछले साल कोरोना संक्रमण के दौरान सही डेटाबेस नहीं होने के कारण कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को सही सलामत उनके घर भेजने और लॉकडाउन के दौरान उनके भोजन तक की पूरी व्यवस्था कराने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। उस दौरान अभिभावकों की परेशानियां भी सामने आई थीं। ऐसे में कोटा से शुरू होने वाला यह स्टूडेंट रजिस्ट्रेशन राजस्थान के अन्य जिलों में भी विस्तारित की जायेगी।
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