हेमंत मंगल, जयपुर: हर मां बाप का सपना होता है कि उसका बच्चा पढ़ लिखकर जिंदगी में कामयाब इंसान बने, इसके लिए आज के दौर में कोचिंग सेंटर भी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं लेकिन इन्हीं कोचिंग सेंटर्स द्वारा कई बार अभिभावकों से मनमाने तरीके से फीस वसूली, झूठे वादे कर बच्चों के प्रवेश जैसी कई अनियमितताएं भी अभिभावकों के लिए परेशानी का एक बड़ा कारण बनी हुई हैं। ऐसे सभी अभिभावकों को राहत देने के लिए राजस्थान सरकार ने कोचिंग संस्थानों पर लगाम लगाने का फैसला किया है।
जिसके तहत सरकार एक नियामक आयोग का गठन करेगी जो कि इस तरह की तमाम शिकायतों को सुलझा कर अभिभावकों और विद्यार्थियों को राहत प्रदान करेगा। इसके साथ ही यह प्राधिकरण कोचिंग संस्थानों और सरकार के बीच एक सामंजस्य बैठाने का भी काम करेगा ताकि इन संस्थानों के संचालन में हो रही परेशानियों को भी दूर किया जा सके।
सरकार का यह ऐलान इस लिहाज से भी मायने रखता है क्योंकि साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी द्वारा जारी "जन घोषणा पत्र" में भी इसे लेकर एक बड़ा वादा किया गया था। लेकिन सवा दो साल बाद अब सरकार ने इसे पूरा करने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिए हैं।
राजस्थान विधानसभा में जब प्रश्नकाल में कुछ विधायकों ने कोचिंग संस्थानों के मनमानी को लेकर सवाल उठाए, तो सरकार की ओर से उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी को इसका जवाब देना पड़ा कि कोचिंग संस्थानों पर नियंत्रण के लिए राज्य सरकार द्वारा शीघ्र ही नियामक प्राधिकरण के गठन की घोषणा की जाएगी। सरकार की माने तो फिलहाल अभी प्राधिकरण के गठन का कार्य प्रक्रियाधीन है।
कोचिंग संस्थानों को लेकर विधायकों की चिंता को जायज बताते हुए सरकार ने भी माना कि कोचिंग संस्थानों पर नियंत्रण के लिए शिक्षा एवं प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी किये जाते हैं और इस बात का भी खासतौर पर ध्यान रखा जा रहा है कि इसका सही तरीके से पालन और छात्रों के हितों की रक्षा हो। हालांकि सरकार की ओर से यह भी साफ कर दिया गया कि वर्तमान में निजी कोचिंग संस्थानों के लिए शिक्षा विभाग या उच्च शिक्षा विभाग से पंजीयन कराने या अनुमति देने का कोई प्रावधान नहीं है।
वैसे प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा जिला कलक्टर की अध्यक्षता में स्थानीय स्तर पर कोचिंग संस्थानों से जुड़ी शिकायतों के निस्तारण के लिए एक समिति भी बनाई गई है। समिति में जिले के पुलिस अधीक्षक व अन्य जिला अधिकारी सदस्य होते है। साल 2016 एवं 2017 में शिक्षा विभाग द्वारा तथा वर्ष 2018 में प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा कोचिंग संस्थाओं के लिए एडवाइजरी भी जारी की गई है।
वैसे सरकार में यह भी कह दिया कि कोरोनकाल में लंबे वक्त तक बंद रहे कोचिंग केन्द्रों में विद्यार्थियों द्वारा जमा कराये गये शुल्क को लौटाने अथवा आगामी कोर्सेज में सम्मिलित करने का कोई प्रस्ताव वर्तमान में विचाराधीन नहीं है। क्योकि केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 के मद्देनजर जारी की गई गाइडलाइन्स में आफलाइन कक्षाओं के संचालन का कोई विकल्प नहीं था। लेकिन उच्च शिक्षा मंत्री ने यह आश्वासन जरूर दिया कि कोचिंग केन्द्रों पर प्रभावी नियंत्रण हेतु प्रस्तावित नियामक प्राधिकरण के गठन के बाद इस बाबत नियम बनाकर तदनुसार कार्यवाही की जाएगी।
राजस्थान सरकार का यह फैसला अभिभावकों के लिए आज से काफी राहत वाला साबित हो सकता है क्योंकि राजस्थान में कोटा को कोचिंग कब कहा जाता है जहां पर की इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेंस परीक्षा की तैयारी के लिए लाखों छात्र देशभर से आते हैं। यही कारण है कि कोटा को देश का कोचिंग का भी हब माना जाता है, लेकिन एक बार प्राधिकरण बनने के बाद उम्मीद जताई जा सकती है कि यहां पर कोचिंग केंद्रों द्वारा बच्चों को आकर्षित करने के लिए भ्रामक प्रसार प्रचार तो रुकेगा ही साथ ही जिंदगी में पढ़ लिखकर कुछ कर गुजरने की चाह के साथ यहां आने वाले विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी मिलेगी।
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