बजट 2021-22 खेलों से जुड़े हुए लोगों के लिए निराशाजनक साबित हुआ है। इस बजट में खेलों के लिए 2826.92 करोड़ रुपए की घोषणा की गई है जो 2019-20 के संशोधित बजट से महज 50 करोड़ रुपए ज्यादा है। ये बजट इसलिए कम नजर आता है क्योंकि इस साल जापान में ओलम्पिक होने हैं। ऐसे में खेल बजट में पिछली बार के मुकाबले ठीक-ठाक वृद्धि की उम्मीद थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
वहीं, सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना 'खेलो इंडिया'- जिसके तहत जमीनी स्तर पर युवाओं की खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित किया जाता है- के लिए आवंटित बजट में 291.42 करोड़ रुपए की वृद्धि कर दी है। इसका मतलब ये निकलता है कि खेलों से जुड़े अन्य मोर्चों पर बजट में कटौती कर दी गई है। खेलों के जानकार ओलम्पिक वर्ष में हुई इस कटौती से नाखुश नजर आते हैं।
सरकार की इस घोषणा का सबसे ज्यादा विपरित असर राष्ट्रीय खेल संघों पर पड़ा है जिनके लिए इस बजट में 245 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। ये राशि 2019-20 के 300.85 करोड़ रुपए की तुलना में 55 करोड़ रुपए कम है। यदि खिलाड़ियों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि की बात करें तो इसे 111 करोड़ रुपए से घटाकर 70 करोड़ रुपए तक कर दिया गया है। वहीं, राष्ट्रीय खेल विकास फंड को भी 77.15 करोड़ रुपए से घटाकर 50 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
इसके साथ ही सरकार ने भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) को मिलने वाले अनुदान को 615 करोड़ रुपए से घटाकर 500 करोड़ रुपए तक कर दिया है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्तर पर SAI खिलाड़ियों के लिए नेशनल कैंप, इंफ्रास्ट्रक्चर और उपकरण व सामाग्री उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी निभाता है। वहीं खिलाड़ियों के लिए बने नेशनल वेलफेयर फंड के लिए अनुदानित राशि को यथावत 2 करोड़ रुपए रखा गया है। वहीं 50 करोड़ रुपए के साथ जम्मू-कश्मीर में खेलों को बढ़ावा देने वाली राशि में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। वहीं लक्ष्मी बाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एड्युकेशन के लिए अनुदान को पिछले साल के मुकाबले 5 करोड़ रुपए बढ़ाकर 55 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
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